युद्ध के दौरान अर्जुन का मोह भंग करने के लिए श्रीकृष्ण ने रणभूमि के बीच श्रीमद् भागवत गीता उपदेश सुनाया : मनोहर दास
जेष्ठ माह की अमावस्या को बंगाली टोला स्थित पार्वती निवास में श्रीमद् भागवत गीता कथा का हुआ आयोजन




न्यूज़ विज़न। बक्सर
जेष्ठ माह की अमावस्या एवं वट सावित्री पूजा के पावन पर्व पर श्री राधा गोविन्द मंदिर के तत्वाधान में मंदिर के सर्वे सर्वा, प्रभु मनोहर दास जी के नेतृत्व में उन्हीं के मुख से श्रीमद् भागवत गीता कथा का रसपान शहर के बंगाली टोला स्थित पार्वती निवास परिसर में भव्य रूप से आयोजित किया गया।








कथा के दौरान प्रभु मनोहर दास जी ने बडे सूक्ष्म एवं सारगर्भित बातों के माध्यम से बताये कि भगवान श्रीकृष्ण के मुखार बिन्द से महाभारत के समय आपने पारिवारिक शत्रु कौरवों के साथ लडने आये पांडवों में जब अर्जुन ने यह कहा की हे श्री कृष्ण मैं देखना चाहता हूँ कि इस युद्ध में कौन कौन लडने आये हैं। अर्जुन की बातों सुनकर श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन को लेकर कौरवों और पांडवों के पक्ष के वीरों के बीच में लेजाकर रथ को खडा कर दिये, वहां पर समस्त रिश्तेदारों को देखकर अर्जुन को मोह उत्पन्न हो जाता है, इसी मोह को दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता जी का उपदेश अठारह अध्याय में सुनाकर अर्जुन का मोहभंग किये तब जाकर अर्जुन युद्ध करने हेतु तैयार हो पाया। उन्होंने कथा के प्रसंग में आगे कहा कि श्रीमद्भागवत गीता हमारे जीवन को जीने की कला बताता है, हमें मनुष्य जीवन क्यों मिला है ? भगवान द्वारा मिले हुए जीवन का औचित्य क्या है? यही तो गीता का मूल्यवान सूत्र है। भगवान की भक्ति हम सभी के जीवन का परम लक्ष्य है।
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे।



इस मंत्र का स्मरण करना, इस मंत्र का माला के माध्यम से जप करना. इस कलियुग में केवल मंत्र का जप करना ही सार्थक है। मंत्र के जाप से कलुषित विचारों का समन होगा, तो हमारा जीवन पवित्र होगा तो मानवता का विकास होगा, जब मानवता का विकास होगा तो मनुष्यता के सद्गुणों से आपल्यित होकर जीवन जीने कला को आत्मसात करके मनुष्य जीवन को धन्य एवं सार्थक बनाने में सफल हो पाएंगे। उक्त श्रीमद्भगवत गीता कथा के पूर्व में श्री हनुमान जी, डॉ. ओमप्रकाश केसरी पवन नन्दन, ने पगड़ी माला, कलम, डायरी आदि से, किरन देवी, सुनीता केसरी ने अंग वस्त्र से पूजन एवं सम्मान किये।
इसी के साथ विनय प्रभु जी आदि का भी अंग वस्त्र से सम्मान किया गया। आलोक कुमार, कीर्ति, आराध्या ने भी प्रभु जी का सम्मान किये। कथा आयोजन पर विस्तार से चर्चा करते उपस्थित समस्त भक्तों को फूलों की पंखुड़ियों से स्वागत किये। इस श्रीमद्भागवत गीता कथा शहर के विभिन्न इलाके से भक्तगण पधारे थे जिनमें गुड़िया, हेमलता, तारा, विजय प्रभु, मनीष, आयुष, डॉ महेन्द्र प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद वर्मा, ई रामाधार सिंह, डॉ शशांक शेखर, शशि भूषण मिश्र, पुरुषोत्तम प्रभु, बालाजी, निखिल आदि अनेक प्रभुजी एवं माता जी उपस्थित थे।

