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यथार्थ नहीं बदलता है, समय बदलता है तथा भाषा बदलती है पर सत्य नहीं बदलता है : निलय उपाध्याय

अपनों से ही उपेक्षित रही हिंदी : शशि भूषण मिश्र

न्यूज विजन । बक्सर
हिंदी भाषा क्षेत्र के निवासी ही आजकल अपनी मातृभाषा से परहेज करने पर उतारू हैं। मां-बाप बूढ़े हो गए तो बच्चे उन्हें वृद्ध आश्रम में भेजने की व्यवस्था करने पर उतारू हैं।अंग्रेजी के आगे हिंदी को बोलने में शर्म करने वाली पीढ़ी जो तैयार की जा रही है, वह निसंदेह ही घातक है। उक्त बातें श्रीनाथ घाट मंदिर के नजदीक स्थित हनुमान मंदिर प्रांगण में “सुखी निरोगी जीवन” के बैनर तले आयोजित गोष्ठी के संयोजक शशि भूषण मिश्र ने कहा। गोष्ठी का संचालन डॉक्टर ओमप्रकाश केसरी ने किया। जबकी अध्यक्षता गंगा यात्री निलय उपाध्याय ने किया।

पवन नंदन ने कहा कि हिंदी जन-जन में ज्ञान और विज्ञान का प्रचार करे‌ प्रसार करे। इस गोष्ठी के चर्चा सत्र में राजा रमन पांडे ने कहा कि युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहना चाहिए और हिंदी का प्रयोग युवाओं को नशा से बचने के लिए विशेष रूप से किया जाना चाहिए। लोग अंग्रेजी को अपना रहे हैं और हिंदी को भूल रहे हैं ऐसा नहीं होना चाहिए।
धन्नू लाल प्रेमातुर ने कहा कि जब तक संस्कृत भाषा है तब तक हिंदी सुरक्षित है। संस्कृत भाषा का जब सही ज्ञान होगा तभी सही अर्थों में हिंदी भाषा का ज्ञान होगा। रामेश्वर नाथ मिश्रा ने कहा कि हिंदी जन -जन की भाषा बनेगी तभी हिंदी सार्थक होगी। श्री भगवान पाण्डेय ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने संस्कृत भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कहा था लेकिन विरोध के चलते हिंदी राष्ट्रभाषा आज तक नहीं बन सकी जो एक भूल ही कही जाएगी। अध्यक्षता कर रहे निलय उपाध्याय ने कहा कि यथार्थ नहीं बदलता है ,समय बदलता है तथा भाषा बदलती है पर सत्य नहीं बदलता है। दुनिया का सारा ज्ञान भाषा में ही है। आदमी मुहावरों में जीता है आदमी जैसे-जैसे बूढ़ा होता है मुहावरों में जीने लगता है।

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