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धान की फसल में बढ़ रहा है गलका का प्रकोप, किसान परेशान

मौसम में काफी उतार चढ़ाव की वजह से धान की फसल में बढ़ रहा है गलका का प्रकोप : रामकेवल

न्यूज विजन । बक्सर
दिनो दिन धान फसल में गलका रोग का प्रकोप बढ़ते जा रहा है जिससे किसान परेशान हैं। जिले के लगभग सभी प्रखंडों में यह रोग तेजी से फैल रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र में गलका रोग से निदान पाने के लिए हर दिन दर्जनों किसान पहुंच रहे हैं। केविके के विशेषज्ञ रामकेवल ने बताया कि जून, जुलाई और अगस्त माह में कम बारिश हुई, जिससे धान फसल की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इधर सितंबर माह में बारिश तो हुई पर तापमान और उमस कम होने का नाम नहीं ले रहा। तापमान के उतार-चढ़ाव के चलते धान फसल में रोग का प्रकोप बढ़ा है। उन्होंने बताया कि इस समय धान में पर्णच्छद झूलसा रोग कहते हैं। इसे किसान आम बोल चाल की भाषा में गलका कहते हैं। यह एक फफूंदजनित बीमारी है। इसका समय से प्रबंधन नहीं करने पर 40 % तक उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

गलका रोग की ऐसे करें पहचान

कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक रामकेवल ने कहा कि गलका रोग की पहचान किसान आसानी से कर सकते हैं। इस रोग का लक्षण मुख्यत: फसल के तने को घेरे हुए पत्तियों पर दिखाई देते हैं। खेत में पानी की सतह के उपर 2 से 3 सेंमी लंबे हरे, भूरे या पुआल के रंग के चिन्ह बन जाते हैं। बाद में यह बढ़कर तने के चारों ओर से घेर लेते हैं, जिससे पत्तियां झूलसकर सूख जाती है। प्रकोप अधिक होने पर वालियां भी कम निकलती है। इससे उपज पर सीधा असर पड़ता है। गलका रोग का सबसे अधिक प्रकोप एमटीयू-7029 यानी मीनिया मंसूरी धान की प्रजाति में देखा जा रहा है। खेत के मेढ़ पर केना घास होने और यूरिया का असंतुलित इस्तेमाल करने से भी यह रोग तेजी से फैलता है। उन्होंने कहा कि किसान जानकारी के अभाव में धान फसल की जल्द से जल्द वृद्धि हो इसके लिए अधिक मात्रा में यूरिया का उपयोग करते हैं, जो गलत है।

समय पर प्रबंधन कर गलका रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। केवीके विशेषज्ञ रामकेवल ने बताया कि खेत की मेढ को साफ रखें। यूरिया का प्रयोग संतुलित मात्रा में करें। गलका रोग पर नियंत्रण पाने के लिए फफूंदनाशी रसायन थाइफ्लूजामाइड 24 % ईसी की 150 एमएल मात्रा 150 लीटर पानी में मिलाकर धान की खेत में छिड़काव करें। अगर यह उपलब्ध ना हो तो कासुगामाइसिन 6 % प्लस थाइफ्लूजामाइड 26% ईसी की 150 एमएल मात्रा या फिर प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी की 200 एमएल मात्रा प्रति एकड़ की दर से 150 या 200 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें।

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