RELIGION

जब भगवन वामन ने पहले कदम से भू लोक, दूसरे कदम से देव लोक माप लिया तब राजा बलि ने अपना सर झुका कहा मेरे सर पर तीसरा कदम रखे प्रभु

रासलीला में वामनावतार लीला का हुआ मंचन

न्यूज़ विज़न । बक्सर
नगर के किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर रामलीला समिति के तत्वाधान में चल रहे 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव के तेरहवें दिन वृंदावन से पधारे श्री नंद नंदन रासलीला एवं रामलीला मंडल के स्वामी श्री करतार बृजवासी के सफल निर्देशन में गुरुवार को दिन में कृष्ण लीला के दौरान “वामनावतार लीला” का मंचन किया गया।

माता अदिति के साथ भगवन वामन
वामन अवतार लीला में दिखाया गया कि बलशाली दैत्य राजा बलि ने इन्द्र देव को पराजित कर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद के पौत्र और दानवीर राजा होने के बावजूद, राजा बलि एक अभिमानी राक्षस होता है। अत्यन्त पराक्रमी और अजेय बलि अपने बल से स्वर्ग लोक, भू लोक तथा पाताल लोक का स्वामी बन बैठा। जब स्वर्ग से इंद्रदेव का अधिकार छिन गया, तो इंद्र देव अन्य देवताओं को साथ लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे। इंद्र देव ने भगवान विष्णु को अपनी पीड़ा बताते हुए सहायता के लिए विनती की। देवताओं की ऐसी हालत देख भगवान विष्णु ने आश्वासन दिया, कि वे तीनों लोगों को राजा बलि के अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए माता अदिति के गर्भ से वामन अवतार के रूप में जन्म लेंगे, जिसके बाद भगवान विष्णु ने वामन के रूप में धरती पर पांचवां अवतार लिया।

इसके बाद भगवान वामन एक बौने ब्राह्मण के वेष में राजा बलि के पास गये और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। हालांकि गुरु शुक्राचार्य ने राजा बलि को किसी भी प्रकार के वचन देने को लेकर चेताया, लेकिन राजा बलि न माने और ब्राह्मण पुत्र को वचन दिया, कि उनकी ये मनोकामना जरूर पूरी करेंगे। इसके बाद वामनदेव ने अपना आकार इतना बढ़ा लिया कि पहले ही कदम में पूरा भूलोक (पृथ्वी) नाप लिया, दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया। तीसरे कदम के लिए कोई भूमि नहीं बची, लेकिन राजा बलि अपने वचन के पक्के थे, इसलिए तीसरे कदम के लिए राजा बलि ने अपना सिर झुका ​कर कहा, कि तीसरा कदम प्रभु यहां रखें. वामन देव राजा बलि की वचनबद्धता से अति प्रसन्न हुए. इसलिए वामन देव ने राजा बलि को पाताल लोक देने का निश्चय किया और अपना तीसरा कदम बलि के सिर पर रखा जिसके फलस्वरूप बलि पाताल लोक में पहुंच गए। राजा बली ने भी वामन भगवान से वरदान मांगा कि जब मेरे नेत्र खुले आप मेरे नेत्रों के समक्ष रहें। जहाँ वामन देव उनको आशीर्वाद प्रदान करते है। उक्त लीला का दर्शन कर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। लीला के दौरान पुरा परिसर दर्शकों से खचाखच भरा रहता है।

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