RELIGION

भव्य शोभायात्रा एवं जलभरी के साथ आरम्भ हुआ 17 वां धर्म आयोजन

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा सिद्धाश्रम धाम रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में इस वर्ष 17 वां धर्म आयोजन में श्री मार्कंडेय पुराण की कथा एवं श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।  जिसका शुभारम्भ शुक्रवार को शोभायात्रा से हुआ। नगर में प्रथम बार आयोजित श्री मार्कंडेय पुराण कथा यज्ञ की शोभायात्रा जलभरी प्रातः 7:30 बजे श्री रामेश्वर नाथ मंदिर से होते हुए पी रोड, पुराना अस्पताल, मेन रोड, जमुना चौक, मॉडल थाना होते हुए रामरेखा घाट पर जलभरी किया गया।

 

शोभायात्रा सह जलभरी में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। जो गाजे बlजा के साथ ताम्र एवं पीतल के कलश तथा श्री मार्कंडेय पुराण का ग्रंथ लेकर भक्तगण नगर भ्रमण किए। माताएं कलश अपने मस्तक पर रखकर तथा पुरुष  दिव्य ग्रंथ मार्कंडेय पुराण लेकर भक्ति में वातावरण का सृजन करते हुए शोभायात्रा को पूर्ण किए। भगवान नाम का संकीर्तन के साथ जयकारा की नाद से बक्सर नगर गुंजायमान हो गया। चारों तरफ धर्म में वातावरण का परिदृश्य विद्यमान हो गया। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी संध्या काल 4:00 बजे से संत सम्मेलन हुआ।

 

श्री मार्कंडेय पुराण की महात्म्य की कथा को आगे बढ़ाते हुए आचार्य श्री शास्त्री (कृष्णानंद )पौराणिक जी ने बताया कि श्री मार्कंडेय पुराण की कथा श्रवण से श्रोताओं का अल्प आयु में होने वाली मृत्यु का योग टल जाता है तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है। यह मार्कंडेय पुराण के मुख्य वक्ता चार पक्षी हैं तथा श्रोता व्यास शिष्य  सभी धर्म शास्त्रों के  ज्ञाता जैमिनी। महाभारत के गुण रहस्य तथा गोपनीय विषयों का चारों पक्षियों ने सुंदरतम ढंग से सरल एवं सुबोध शैली में उद्घाटन किया है। यह सभी पक्षी शास्त्रों, वेद ,उपनिषद तथा पुराण के ज्ञाता है ।जैसे सूक नामक पक्षी का भागवत, काग भूसुंडी का रामायण ग्रंथ है वैसे ही द्रोण के पुत्र पिंगlक्ष, वीबोध – सुपुत्र एवं सुमुख इन चार पक्षियों द्वारा गाया गया ग्रंथ मार्कंडेय पुराण है। यह पुराण महाभारत को ठीक-ठाक समझने में समर्थ है। यह पुराण 18  पुराणों में सातवें नंबर का पुराण है। इसमें कुल 9000 श्लोक हैं।

 

यह पुराण महाभारत की कुंजी के रूप में प्रसिद्ध है। सर्वजन कल्याण सेवा समिति द्वारा इस पुराण की कथा प्रथम बार बक्सर में आयोजित किया गया है इस पुराण के श्रवण से व्यक्ति को अपने-अपने धर्म कर्म का सम्यक बोध हो जाता है परिणाम स्वरूप श्रोता इस लोक तथा परलोक में परम सुख एवं आनंद का भागी बन जाता है। संत सम्मेलन में सप्तर्षियों के प्रतिनिधि के रूप में नया बाजार  आश्रम, लक्ष्मी नारायण मंदिर, श्रीनिवास  मंदिर, बड़ी मठिया एवं अहिरौली मठ के मठाधीश और स्वामी जी महाराज उपस्थित थे । जिसमें श्रीनिवास चतुर्वेदी, श्री भगवान पांडे, टीएन चौबे, राजकुमार चौबे जी आदि विद्वानों के द्वारा धर्म समाज एवं राजनीति पर गूढ़ मंतव्य दिए गए।

 

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