मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है :आचार्य रणधीर ओझा
भागवत कथा के तीसरे दिन रणधीर ओझा ने कथा के दौरान शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन किया




न्यूज़ विज़न । बक्सर
जिले के इटाढ़ी प्रखंड अंतर्गत बिझौरा गॉव में दुर्गा पूजा समिति बिझौरा के तत्वाधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन भक्तमाली मामाजी के कृपापात्र आचार्य श्री रणधीर ओझा ने कथा के दौरान शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन किया ने ध्रुव चरित्र, प्रहलाद चरित्र एवं वामन अवतार का रोचक वर्णन किया।








भक्त प्रहलाद की कथा सुनाते हुए आचार्य श्री ने कहा कि पिता अगर कुमार्ग पर चले तो पुत्र का कर्तव्य है उसे सही मार्ग पर लाए। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाबजूद प्रहलाद ने भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ा। भगवान ने नरसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर अपने परमधाम को पंहुचाया। आचार्य श्री ने आगे कहा कि यहां चौरासी लाख योनियों के रूप में भिन्न- भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं।जब-जब कोई अपने गलत कर्मो द्वारा इस संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है तब-तब भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सजनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार किया करते हैं ।समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहा कि मानव हृदय ही संसार सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है।
कभी हमारे अंदर अच्छे विचारों का चितन मंथन चलता रहता है और कभी हमारे ही अंदर बुरे विचारों का चितन मंथन चलता रहता । आचार्य श्री ने बताया कि जिसके अंदर के दानव जीत गया उसका जीवन दु:खी, परेशान और कष्ट कठिनाइयों से भरा होगा और जिसके अंदर के देवता जीत गया उसका जीवन सुखी,संतुष्ट और भगवत प्रेम से भरा हुआ होगा । इसलिए हमेशा अपने विचारों पर पैनी नज़र रखते हुए बुरे विचारों को अच्छे विचारों से जीतते हुए अपने मानव जीवन को सुखमय एवं आनंद मय बनाना चाहिए ।




