यदि मन भगवान में आसक्त हो जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है, तथा संसार में लग जाए तो बंधन का कारण बन जाता है : राजेंद्र दास देवाचार्य जी महाराज




न्यूज़ विज़न । बक्सर
शहर के नया बाजार में पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार के पुण्य स्मृति में आयोजित होने वाले 54 वें श्री सीताराम विवाह महोत्सव के दुसरे दिन श्रीमद् जगतगुरु द्वाराचार्य मलूक पीठाधीश्वर श्री राजेंद्र दास देवाचार्य जी महाराज ने ठाकुर जी के वामनावतार और महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ स्थली को प्रणाम करते हुए हर वर्ष इस दिव्य समारोह में आने की मंशा जाहिर करते हुए कपिलोख्यान की व्याख्या की।










कथा के दौरान महाराज श्री ने कहा कि सरल हृदय से साधना ही परमपिता से मेल का एकमात्र साधन है। उन्होने माता देवभूति एवँ भगवान कपिल संवाद की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान कपिल ने माता देवभूति से कहा की मन ही मोक्ष एवं बंधन का कारण है। यदि मन भगवान में आसक्त हो जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा संसार में लग जाए तो बंधन का कारण बन जाता है। अतः इस मन को भगवान में ही लगाना चाहिए। साथ ही महाराज जी ने कहा कि परीक्षित जी ने जब शुकदेव जी से प्रश्न किया कि जिस व्यक्ति की मृत्यु नजदीक आ जाए वह कौन सी साधना करें कि उसका उद्धार हो जाए। इस प्रश्न के उत्तर में श्री शुकदेव जी ने कहा व्यक्ति अगर मनुष्य भगवान का गुणगाण सुने, गायन करें और उनका स्मरण करें। इन तीनों कामों से उसका उद्धार हो जाएगा। कथा के दौरान आश्रम के महंथ राजाराम शरण दास जी महाराज, बसाव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज, रामरेखा घाट मठ के महंथ जी समेत अनेको साधु संत मौजूद रहे। वही रात्रि में आश्रम के परिकरों द्वारा रामलीला में जय विजय की लीला का मंचन किया गया।

