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गंगा दशहरा 30 मई को रामरेखा घाट पर गंगा स्नान के लिए जुटेंगे लाखो श्रद्धालु

मां गंगा के अवतरण दिवस पर मनाया जाता हुआ गंगा दशहरा, गंगा स्नान से मिलती है पाप कर्मों से मुक्ति

बक्सर। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में जन-जन के हृदय में बसी मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। अत:इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जो इस बार 30 मई को है।
गंगा दशहरा का महत्व बताते हुए पंडित मुन्ना दुबे ने बताया कि मां गंगा शुद्ध, विद्यास्वरूपा, इच्छाज्ञान एवं क्रियारूप, दैहिक, दैविक तथा भौतिक तापों को शमन करने वाली, धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों पुरूषार्थों को देने वाली शक्ति स्वरूपा हैं। कहा गया है- ‘गंगे तव दर्शनात मुक्तिः’ अर्थात निष्कपट भाव से गंगाजी के दर्शन मात्र से जीवों को कष्टों से मुक्ति मिलती है और वहीं गंगाजल के स्पर्श से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार पाठ, यज्ञ, मंत्र, होम और देवार्चन आदि समस्त शुभ कर्मों से भी जीव को वह गति नहीं मिलती, जो गंगाजल के सेवन से प्राप्त होती है। गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है।
उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है एवं गंगा स्नान करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है। विधिविधान से गंगा पूजन करना काफी फलदायक होता है। अमावस्या दिन गंगा स्नान और पितरों के निमित तर्पण व पिंडदान करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। मत्स्य, गरुड़ और पद्म पुराण के अनुसार हरिद्वार, प्रयाग, बक्सर और गंगा के समुद्र संगम में स्नान करने से मनुष्य मरने के बाद स्वर्ग पहुंच जाता है और फिर कभी पैदा नहीं होता यानी उसे निर्वाण की प्राप्ति हो जाती है।
वही रामरेखा घाट के पंडा लाला बाबा ने बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार गंगा दशहरे के दिन श्रद्धालुजन दस-दस सुगंधित पुष्प, फल, नैवेद्य, दस दीप और दशांग धूप के द्वारा श्रद्धा और विधि के साथ दस बार गंगाजी की पूजा करें। जिस भी वस्तु का दान करें, उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है एवं मां गंगा प्रसन्न होकर मनुष्य को पापों से मुक्त करती हैं। दक्षिणा भी दस ब्राह्मणों को देनी चाहिए। जब गंगा नदी में स्नान करें, तब दस बार डुबकी लगानी चाहिए। गंगा नदी के किनारे दीप दान करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन स्नान-दान करने से शरीर शुद्ध और मानसिक विकारों से रहित होता है। अमृतदायिनी मां गंगा को छू लेने से ही मृत्युलोक के जीवों का उद्धार होने और उन्हें मुक्ति मिल जाने की मान्यता इस पर्व को लेकर है। उन्होंने बताया कि रामरेखा घाट पर गंगा दशहरा को भव्य महाआरती का आयोजन किया गया है। वहीं गंगा दशहरा को शहर में और खास तौर पर रामरेखा घाट पर होनेवाले भीड़ को लेकर एसडीओ पूर्व से दिशा निर्देश जारी कर दिया है।

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