गांव की बेटी बनी मिसाल : रहसीचक की पूनम बनी बिहार पुलिस में सिपाही
गांव के स्कूल में हुआ भव्य सम्मान समारोह




न्यूज़ विज़न। बक्सर
जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत रहसीचक पंचायत के चकरहंसी गांव की बेटी पूनम कुमारी ने अपने हौसले और मेहनत के दम पर न सिर्फ अपने परिवार का, बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया। अत्यंत पिछड़े परिवार से आने वाली पूनम का चयन बिहार पुलिस में सिपाही के पद पर हुआ है। नियुक्ति पत्र पाने के बाद जब शुक्रवार को वह अपने पूर्व विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय चकरहंसी पहुंची, तो वहां का नजारा देखने लायक था। पूरे गांव के लोग और विद्यालय परिवार ने अपनी बेटी का गले लगाकर और माल्यार्पण कर जोरदार स्वागत किया।






स्कूल में गूंजी तालियां, बेटी के लिए उमड़ा प्यार

विद्यालय परिसर में शिक्षक-शिक्षिकाओं और ग्रामीणों ने मिलकर एक भव्य सम्मान समारोह आयोजित किया। पूनम को पुलिस की वर्दी में देखकर हर कोई गर्व से भर उठा। शिक्षक-शिक्षिकाओं ने कहा कि आज यह हमारी छात्रा नहीं, हमारी प्रेरणा बन गई है। कार्यक्रम में गांव की महिलाओं और युवाओं ने भी भाग लिया और जमकर तालियां बजाईं। विद्यालय की शिक्षिका एवं समाजसेवी मीरा सिंह ने कहा, “पूनम ने यह साबित कर दिया कि बेटियां अगर ठान लें तो कोई सपना असंभव नहीं। उसकी सफलता पूरे गांव के लिए मिसाल है।” वहीं समाजसेवियों में रंजना गुप्ता, किरण देवी, डॉली कुमारी, दिव्या राय, अमृता राय, शांति पांडेय समेत सभी ने पूनम को शुभकामनाएं दीं।
किराना दुकान चलाकर रची बेटी की सफलता की कहानी
पूनम के पिता नंदकुमार राम गांव में ही एक छोटी सी किराना दुकान चलाते हैं। सीमित आमदनी के बावजूद उन्होंने बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके पांच बच्चों में पूनम चौथे नंबर पर है। मां सविता देवी की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। उन्होंने कहा, “मेरी बेटी ने मेरा सिर ऊंचा कर दिया। ये तो मेरे सपनों से भी बड़ा तोहफ़ा है।”
सम्मान समारोह में उमड़ी भीड़, जनप्रतिनिधियों ने की सराहना
गांव के मुखिया प्रतिनिधि छोटू सिंह, सरपंच आनंद सिंह उर्फ बंटी, वार्ड सदस्य सरोज निराला के साथ संजय कुमार, विनोद यादव, ईश्वर चंद्र मिश्रा समेत दर्जनों ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने पूनम को गांव की ‘शेरनी’ बताते हुए आशीर्वाद दिया और दूसरे बच्चों के लिए प्रेरणा बताया।
पूनम ने कहा : मेहनत ही मेरी पूंजी रही
सम्मान समारोह में पूनम ने कहा कि उनके पास साधन नहीं थे, लेकिन हौसला था। पापा की मेहनत और मां की दुआओं ने आज मुझे यहां तक पहुंचाया। अब मेरी कोशिश होगी कि मैं पूरी ईमानदारी और लगन से अपनी ड्यूटी निभाऊं और अपने गांव और जिले का नाम रौशन करूं। गांव में देर तक खुशी का माहौल बना रहा और ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटकर इस ऐतिहासिक दिन को यादगार बना दिया।

