RELIGION

नारायण नाम मे इतनी शक्ति है कि पापी भी नारायण नाम से गोविंद लोक का अधिकारी बन जाता है : आचार्य धर्मेन्द्र

 लाल बाबा आश्रम में गुरु पूर्णिमा के मौके पर चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस  

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

शहर के सती घाट स्थित लाल बाबा आश्रम में गुरु पूर्णिमा के मौके पर महंथ सुरेंद्र तिवारी के सानिध्य में चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिन विश्व प्रसिद्ध महामनीषी संत श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के समर्थ शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के कृपापात्र ब्रह्मपुर पीठाधीश्वर आचार्य धर्मेन्द्र (पूर्व कुलपति) कथा के दौरान कहा कि नारायण बड़े कृपालु है, उनकी कृपा सब पर बरसती रहती है, बस शर्त इतना है कि श्रद्धा से उन्हे याद किया जाय। याद करने में  देरी हो सकती है, उनको दया करने में देर नही होती..। इसके प्रमाण मे गजेंद्र मोक्ष की कथा कही।

 

 

श्रीमद्भागवत की कथा व नारायण नाम मे इतनी शक्ति है कि पापी भी नारायण नाम से गोविंद लोक का अधिकारी बन जाता है। इस कथन की पुष्टि में अजामिल मोक्ष की कथा कही आचार्य जी ने कहा। आगे प्रहलाद चरित्र को कहते हुए जगद्गुरु रामानुजाचार्य विद्या वाचस्पति आचार्य धर्मेन्द्र ने कहा कि कोई जरूरी नहीं है कि उत्तम कुल मे उत्तम संतान हो और संस्कार हीन कुल में संस्कारहीन संतान हो। इस सिद्धांत के प्रमाण में आचार्य जी ने कहा कि कश्यप ऋषि के कुल मे हिरन्याच्छ, हिरन्यकिश्यपू का आना और हिरन्यकिश्यपू के कुल मे भक्तराज प्रहलाद के आने की कथा कही। साथ मे दीती और क्याधू के जीवन व्यवहार से गृहस्थों को शिक्षा लेने की सलाह दी। सूर्य वंश का वर्णन करते हुए अम्बरीष, सागर चरित्र पर प्रकाश डाला। फिर सागर मंथन के हेतु और मंथन से निकले रत्नों और नासिक, उज्जैन, प्रयाग, हरिद्वार चारों कुम्भो की कथा कही। आगे उन्होंने गंगा अवतरण की कथा कहते हुए कहा गंगा जी दुनिया के पापियों को पाप से मुक्त करती है, जबकि गंगा जब अपवित्र होती है तो वैष्णव के स्नान मात्र से पवित्र हो जाती है।

 

वर्तमान संदर्भ मे गंगा को प्रदूषण मुक्ति पर बल दिया। आगे उन्होंने राम जन्म के विविध हेतु की चर्चा करते हुए श्रीराम की बाल लीला, विवाह लीला, वन लीला, रण लीला ,राज लीला और प्रस्थान लीलाओं का सारगर्भित व्याख्या करते हुए कहा कि श्रीराम जी का पूरा जीवन मर्यादित  संयमित रहा जो सनातन धर्म का व्यावहारिक स्वरूप है, अनुकरणीय है। संयममय  जीवन उत्तम साधन हैं। संयममय जीवन सानातन धर्म का सार है। कथा में  बक्सर, बलिया प्रक्षेत्र के भक्तों की भीड़ उमड़ रही है, सब कथा सुनकर कहते सुने जा रहे हैं पहली बार श्रीमद्भागवत की दिव्य कथा सुनने को मिल रही है। श्रीमद्भागवत का मूल पाठ पंडित अशोक द्विवेदी द्वारा किया जा रहा है। प्रबंध व्यवस्था में महंत सुरेन्द्र बाबा और उनके सहयोगी यज्ञ समिति के स्थानीय भक्त व क्षेत्रीय लोग भक्ति भाव से सक्रिय सहयोग कर रहे हैं। प्रसाद, भंडारे  की दिव्य व्यवस्था है।

 

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