RELIGION

लंकापति ने पूंछ में लगवाई आग तो हनुमान जी ने फूंक दी सोने की लंका

श्री राम कथा में स्वामी बैकुंठनाथ जी महाराज ने लंका दहन प्रसंग का विस्तार से किया वर्णन

न्यूज विजन। बक्सर
लाल बाबा आश्रम सती घाट बक्सर मे आश्रम के महंत श्री सुरेंद्र जी महाराज के सानिध्य में चल रही श्री राम कथा में लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज जी के कृपा पात्र जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी बैकुंठनाथ जी महाराज, पीठाधीश्वर माया मधुसूदन धाम ने लंका दहन प्रसंग का वर्णन किया।

 

स्वामी जी महाराज ने लंका दहन प्रसंग में बताया की हनुमान जी लंका पहुंच कर माता सीता की तलाश करने लते हैं। तलाश करते–करते वे अशोक वाटिका पहुंचे। वहां उन्होंने देखा की माता सीता एक पेड़ के नीचे बैठी श्रीराम से मिलने के लिए दुखी हैं। यह देख कर हनुमान जी माता सीता के पास गए और उन्हें श्रीराम के बारे में बताया। प्रभु श्रीराम के बारे में बताते हुए उन्होंने माता सीता को श्रीराम की अंगूठी दी और कहा कि श्रीराम आपको यहां से मुक्त कराने जल्द ही आयेंगे। तब माता सीता ने अपना जुड़ामणि हनुमान जी को देते हुए कहा कि यह श्रीराम को दे देना और उनसे कहना कि उनकी सीता उनकी प्रतीक्षा कर रही है। यह सब होने के बाद हनुमान जी ने माता सीता से कहा कि मुझे बहुत भूख लगी है क्या मैं इस वाटिका में लगे फल खा सकता हूं? माता सीता ने उन्हें आज्ञा दी। वे एक पेड़ से दुसरे पेड़ कूदते हुए फल खाने लगे और कुछ पेड़ गिरा दिए। यह देख कर वहां की देखभाल करने वाले योद्धा उनको पकड़ने के लिए भागे लेकिन हनुमान जी ने उन्हें भी नहीं छोड़ा, कुछ को मार डाला तो कुछ को घायल कर दिया। इस तरह उन्होंने पूरी अशोक वाटिका उजाड़ दी।

 

रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध का जब यह खबर लंकापति रावण के पास पहुंची, तब उन्होंने अपने बहुत से योद्धाओं को उस वानर का वध करने के लिए भेजा। लेकिन हनुमान जी ने सभी योद्धाओं को बहुत ही आसानी से मार डाला और कुछ को घायल कर दिया। यह सब सुन रावण बहुत ही क्रोधित हुआ। रावण के भाई विभीषण ने उन्हें रोकते हुए रावण से कहा कि यह दूत है और किसी दूत को सभा में मार डालना नियमों के खिलाफ है। रावण ने उन्हें रोका और सभी से पूछा कि इसे क्या सजा दी जाये।

 

लंकापति के एक योद्धा में कहा कि वानरों को अपनी पूंछ बहुत प्यारी होता है क्यों ना इसकी पूंछ में कपड़ा लपेट कर तेल डालकर आग लगा दी जाए। रावण ने हनुमान की पूंछ पर आग लगाने का आदेश दिया। हनुमान की पर कपड़ा लपेटा जाने लगा किन्तु उनकी पूंछ लम्बी होती चली गई। राज्य का सारा तेल और कपड़ा उनकी पूंछ में ही लग गया। फिर जैसे तैसे उनकी पूंछ में आग लगा दी और उन्हें छोड़ दिया। हनुमान जी की पूंछ में आग लगते ही उन्होंने एक महल से दुसरे महल कूदते हुए पूरी लंका में आग लगा दी। सिर्फ एक विभिषण का महल छोड़ कर उन्होंने पूरी लंका को जला दी। जिससे पूरा नगर जल कर राख हो गया। फिर उन्होंने समुद्र में जा अपनी पूंछ की आग बुझाई और वापस लौट गए। मौके पर युवा जदयू के प्रदेश महासचिव आजाद सिंह राठौर, नीरज सिंह, झूना पांडेय, पुना बाबा, रणधीर श्रीवास्तव, दुर्गेश पांडेय, प्रह्लादजी, मनोज वर्मा, संतोष गुप्ता, बबलू तिवारी, अनिरुद्ध तिवारी, बिनोद जायसवाल, संतोष शर्मा, सुरेन्द्र वर्मा, सिद्धनाथ तिवारी, आकाश जयसवाल, नागेन्द्र वर्मा, कमलेश यादव, ओमकारजी, महेश जयसवाल, आरती गुप्ता आदि मौजूद थे।

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