जो भक्त भगवान पर विश्वास करता है उस भक्त की रक्षा प्रभु स्वयं करते हैं : पुंडरीक शास्त्री
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न्यूज़ विज़न। बक्सर
शहर के नया बाजार स्थित सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में पूज्य नारायण दास भक्तमाली उपाख्य मामाजी महाराज के पावन स्मृति में आश्रम के महंत सह श्री विश्वामित्र पीठाधीश्वर श्री राजाराम शरण दास जी महाराज के सानिध्य में चल रहे 17वें श्री प्रिया प्रियतम मिलन महोत्सव के पांचवे दिन संध्या 3 बजे से काशी से आये कथा वाचक डॉक्टर पुंडरीक शास्त्री ने महर्षि कश्यप की कथा सुनाया।
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कथा के दौरान डॉ पुण्डरीक शास्त्री ने कहा कि महर्षि कश्यप जी की दो पत्नियां थी। अदिति और दिति अदिति के पुत्र हुए देवता लोग और दिति के पुत्र हुए दानव। एक बार कश्यप की पत्नी दिति देवी ने कश्यप जी से पुत्र की कामना की तो उन्होंने पुंसवन व्रत का उपदेश दिया परंतु यह भी कहा कि यदि व्रत में किसी प्रकार की असावधानी होगी तो देवताओं को मारने वाले तुम्हारे ही पुत्र देवताओं के मित्र हो जाएंगे और वही आगे चलकर 49 मारुद्गण हुए। तब श्री शुकदेव जी महाराज से परीक्षित ने प्रश्न किया भगवान ऐसा क्यों करते हैं। भगवान के ही देवता और दानव हैं तो भगवान देवताओं का पक्ष क्यों लेते हैं। इस बात को सुनने के बाद महामुनि ने नारद जी और युधिष्ठिर का संवाद सुनाया और राजसूय यज्ञ की कथा में यह वर्णन किया कि भगवान कृष्ण ने शिशुपाल को अपने चक्र से मारा और शिशुपाल के शरीर से निकला हुआ तेज भगवान में प्रवेश कर गया। तब युधिष्ठिर को संशय हो गया की इतना बड़ा पापी भगवान के अंदर कैसे प्रवेश कर गया। तब उन्होंने नारद जी से प्रश्न किया नारद जी ने जय और विजय के श्राप की कथा तथा हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु के जन्म की कथा और प्रहलाद चरित्र का वर्णन किया और यह बताया कि भगवान अपने भक्त की रक्षा करने के लिए पत्थर को फाड़ कर प्रकट हो गए और भगवान का नरसिंह अवतार हुआ जो भक्त भगवान पर विश्वास करता है उस भक्त की रक्षा प्रभु स्वयं करते हैं।
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भक्ति मार्ग में विश्वास आवश्यक है इसके बाद मानव धर्म वर्ण धर्म तथा आश्रम धर्म का निरूपण करते हुए गज और ग्राह की कथा सुनाई संसार में जो जीव है वही गज है और मृत्यु ही ग्राह है हर समय जीव को खींचकर मृत्यु अपनी तरफ ले जा रहा है। आगे की कथा में देव सुर संग्राम और अमृत प्रकट तथा समुद्र मंथन की कथा श्रवण कराई। इसके पश्चात भगवान वामन और राजा बलि की कथा भगवान राजा बलि से तीन पग भूमि मांगे और यह संदेश दिया कि जितना मिले उतने में ही संतोष करना चाहिए साथ ही साथ यह भी बात है कि मांगने वाला व्यक्ति देने वाले के आगे छोटा हो जाता है। मत्स्य अवतार की कथा सूर्यवंश का वर्णन एवं भगवान श्री राम के जन्म की कथा के साथ भगवान श्री कृष्ण के प्रकट उत्सव एवं नंद उत्सव की कथा का वर्णन किया गया भगवान का जहां आगमन हो जाता है वहां उत्सव और आनंद के साथ बधाइयां बजने लगती है।
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