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सिमरन ने NEET में लहराया परचम, 99.281 परसेंटाइल के साथ रचा सफलता का इतिहास

न्यूज़ विज़न।  बक्सर
ग्रामीण परिवेश और सीमित संसाधनों के बावजूद अगर हौसला बुलंद हो, तो सफलता कदम चूम ही लेती है। ऐसा ही कर दिखाया है बक्सर जिले के भरचकिया गांव की सिमरन ने, जिन्होंने नीट (NEET) 2025 की परीक्षा में 99.281 परसेंटाइल हासिल कर जिले का मान बढ़ाया है। साथ ही उन्होंने 6926 कैटेगरी रैंक के साथ मेडिकल की राह आसान कर ली है।

 

तीसरे प्रयास में पाई बड़ी सफलता

सिमरन ने यह उपलब्धि तीसरे प्रयास में अर्जित की है, जो उनके साहस, समर्पण और निरंतर संघर्ष का प्रत्यक्ष प्रमाण है। उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हर असफलता को सीख बनाकर आगे बढ़ती गईं।

किसान पिता और गृहिणी माँ की बेटी ने रचा इतिहास

सिमरन के पिता प्रवीण कुमार सिंह, पेशे से किसान हैं, जबकि माँ सुनीता देवी एक साधारण गृहिणी हैं। सीमित आमदनी के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई में कभी कोई समझौता नहीं किया। यही कारण है कि आज सिमरन की सफलता पर न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरा गांव गर्व महसूस कर रहा है। प्रवीण कुमार वर्तमान में बच्चों की पढाई के वास्ते शहर के चीनीमिल मोहल्ले में अपना घर बनाया है। जहां दोनों बच्चे और माँ  और परवीन कुमार गांव की खेती बाड़ी देखते है इसलिए अक्सर गांव पर ही रहते है।

फाउंडेशन स्कूल से की प्रारंभिक शिक्षा

सिमरन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शहर के प्रतिष्ठित फाउंडेशन स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने 2020 में मैट्रिक और 2022 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद उन्होंने नीट की तैयारी के लिए ऑनलाइन माध्यम का सहारा लिया और घर पर रहकर ही पढ़ाई की।

“मोबाइल अगर सही दिशा में इस्तेमाल हो तो बनता है सफलता का माध्यम”

सिमरन कहती हैं, “मैंने घर से ऑनलाइन स्टडी की और मोबाइल का सिर्फ पढ़ाई में इस्तेमाल किया। यही मेरी सफलता की कुंजी रही।” उन्होंने यह भी कहा कि, “आजकल कई छात्र-छात्राएं मोबाइल के कारण भटक जाते हैं, लेकिन यदि इसका सही उपयोग किया जाए तो यह एक सशक्त शैक्षणिक साधन बन सकता है।”

भाई भी होनहार, परिवार में खुशी की लहर

सिमरन के बड़े भाई ऋतिक परवीन भी पढ़ाई में काफी होनहार हैं और वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे हैं। सिमरन की इस उपलब्धि पर परिवार में खुशी की लहर है। गांव वाले भी परवीन सिंह के परिवार को बधाई देने उमड़ रहे हैं।

गांव की बेटियों के लिए बनी प्रेरणा

सिमरन की यह सफलता सिर्फ उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि गांव की अन्य बेटियों के लिए भी प्रेरणा है। उन्होंने यह दिखा दिया कि अगर लगन और मेहनत हो तो संसाधनों की कमी भी राह नहीं रोक सकती।

सिमरन अब मेडिकल कॉलेज में दाखिले की तैयारी में जुट गई हैं और भविष्य में डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करना चाहती हैं। उनकी सफलता ने बक्सर जिले को एक बार फिर गौरवान्वित कर दिया है।

“गांव की गलियों से निकलकर देश के मेडिकल संस्थानों तक पहुंचने का सपना अब हकीकत बन चुका है — सिमरन कुमारी एक मिसाल हैं!”

 

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