एमवी कॉलेज में ‘प्रेमचंद विमर्श’ का सफल आयोजन, उपन्यास सम्राट को किया गया भावपूर्ण स्मरण




न्यूज़ विज़न। बक्सर
गुरुवार को महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में हिंदी साहित्य के कालजयी हस्ताक्षर, उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द की जयंती के पावन अवसर पर एक गरिमामय कार्यक्रम ‘प्रेमचंद विमर्श’ का आयोजन किया गया। महाविद्यालय की आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) और हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रेमचंद के साहित्य, उनके विचारों और भारतीय समाज पर उनके अमिट प्रभाव पर गहन चर्चा करना था।






कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के ऊर्जावान प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. के. के. सिंह ने की, जबकि हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पंकज कुमार चौधरी ने अपने कुशल संचालन से पूरे विमर्श को एक सुदृढ़ दिशा प्रदान की। कार्यक्रम में उपस्थित विभिन्न वक्ताओं ने प्रेमचंद की साहित्यिक सरलता और मानवीय उदारता को प्रमुखता से याद किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. के. के. सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रेमचंद को एक ‘विरले साहित्यकार’ के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने भावपूर्ण शब्दों में कहा, “अंग्रेजी साहित्य में कहीं भी प्रेमचन्द जैसा, विभिन्न क्षेत्रों में अद्भुत प्रतिभा का धनी, बहुआयामी व्यक्तित्व का साहित्यकार आज तक देखने को नहीं मिला है। प्रेमचंद निश्चय ही साहित्य के क्षेत्र में एक अमिट छाप छोड़कर हमारे दिलों में अपना जीवंत स्थान प्राप्त कर चुके हैं।” उनका यह कथन प्रेमचंद के वैश्विक साहित्यिक कद को दर्शाता है। मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक और एनसीसी के ए.एन.ओ. लेफ्टिनेंट (डॉ.) योगर्षि राजपूत ने प्रेमचन्द के अमर उपन्यास ‘गोदान’ के महत्वपूर्ण पात्रों मेहता और मालती के एक प्रसंग का मार्मिक प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने प्रेमचन्द के पात्रों की मनोवैज्ञानिक गहराई को उजागर करते हुए बताया कि कैसे उनके पात्र मानवीय मनोभावों और संबंधों की जटिलताओं को यथार्थवादी ढंग से दर्शाते हैं। मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुजीत कुमार यादव ने साहित्य और मनोविज्ञान के अंतर्संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद का साहित्य मानवीय मन की परतों को समझने का एक उत्कृष्ट माध्यम है।


हिंदी विभाग के कई छात्र-छात्राओं ने भी प्रेमचन्द जी की अनमोल यादों और उनके साहित्य के महत्वपूर्ण अंशों को अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से सूत्रों में पिरोकर प्रस्तुत किया। इस अवसर पर ‘प्रेमचंद विमर्श’ के तहत एक जीवंत चर्चा-परिचर्चा का दौर भी चला, जिसमें जिज्ञासु छात्र-छात्राओं ने हिंदी विभाग के शिक्षकों के समक्ष प्रेमचंद जी से संबंधित कई गूढ़ प्रश्न किए और उनके सारगर्भित उत्तर प्राप्त किए, जिससे उनके ज्ञान में वृद्धि हुई। अंत में, हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. श्वेत प्रकाश ने कार्यक्रम में उपस्थित प्रधानाचार्य, समस्त सहायक प्राध्यापकों, कर्मचारियों सहित सभी गणमान्य सदस्यों एवं छात्र-छात्राओं को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस सफल आयोजन में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के सहायक प्राध्यापक डॉ. रासबिहारी शर्मा, डॉ. भरत कुमार चौबे, डॉ. रवि प्रभात, डॉ. रवि कुमार ठाकुर, डॉ. सुमन श्रीवास्तव, डॉ. सीमा द्विवेदी, डॉ. राकेश तिवारी, डॉ. सीमा कुमारी, महाविद्यालय के कर्मचारी लाल वचन, राजेश पांडेय सहित सैकड़ों छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे, जिन्होंने प्रेमचंद के प्रति अपनी श्रद्धा और साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दिया।

