CRIME

आकाशीय बिजली ने छीन ली तीन जिंदगियां, गांव में पसरा मातम

चौसा प्रखंड क्षेत्र में दर्दनाक हादसा

न्यूज़ विज़न।  बक्सर
जिले के चौसा प्रखंड में सोमवार की दोपहर उस समय हाहाकार मच गया, जब अचानक बदले मौसम के साथ तेज बारिश और आकाशीय बिजली ने कहर बरपाया। दो अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पाँच अन्य लोग ज़िंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। हादसे ने कई परिवारों से उनके अपने छीन लिए और पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया।

 

घटना के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के अनुसार चौसा प्रखंड के दुर्गा मंदिर के पास गंगा तट थाना घाट पर सोमवार को रोज की तरह लोग पहुंचे थे। इनमें आठ लोग एक साथ चौसा बाजार के भी गए थे। दोपहर करीब दो बजे जैसे ही अचानक बारिश शुरू हुई, सभी लोग पास के एक पेड़ की छांव में शरण लेने चले गए। किसी को अंदाजा नहीं था कि वही पेड़ कुछ ही क्षणों में जीवन और मृत्यु का कारण बन जाएगा। एक तेज गर्जना के साथ आसमान से बिजली गिरी और देखते ही देखते सभी आठ लोग जमीन पर गिर पड़े। जोरदार धमाके की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़कर मौके पर पहुंचे। दृश्य इतना भयावह था कि किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि किसी को हाथ भी लगाए।

 

ग्रामीणों ने तुरंत सभी को उठाकर सदर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने बीरेंद्र गोंड, पुत्र – स्व. सूरज गोंड और मिथिलेश राम, पुत्र – बलिराम राम को मृत घोषित कर दिया। बाकी सोनू राम, नीरज, अमित चौधरी और अन्य घायलों की हालत भी चिंताजनक बनी हुई है। वही दूसरी तरफ एक और हृदय विदारक घटना नरवतपुर गांव में घटी, जहां 50 वर्षीय भोला सिंह, पुत्र – बहादुर सिंह अपने मवेशियों को चराने के लिए खेतों की ओर निकले थे। आकाशीय बिजली ने उन्हें भी अपनी चपेट में ले लिया और वहीं मौके पर उनकी मौत हो गई। घर में खबर पहुंचते ही रूदन, चीख-पुकार और बदहवासी का माहौल बन गया। भोला सिंह की अचानक मौत ने पूरे परिवार को आर्थिक और मानसिक संकट में डाल दिया है।

प्रशासन ने जताया शोक, आर्थिक सहायता का भरोसा

घटना की सूचना मिलते ही चौसा प्रखंड प्रशासन और थानाध्यक्ष शम्भू भगत ने घटनास्थल का मुआयना किया तथा पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की। मृतकों के परिजनों को सरकार द्वारा आपदा राहत कोष से चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस त्रासदी ने एक बार फिर ये साबित कर दिया कि प्रकृति की मार न तो पूर्व चेतावनी देती है और न ही किसी को बख्शती है। गांव में अब भी हर आंख नम है, हर चेहरे पर उदासी है और हर परिवार ईश्वर से यही प्रार्थना कर रहा है कि अब और किसी के घर में यह दुःख न आए।

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