शादी करने जा रहे है तो कुंडली से पहिले जरूर करे थैलीसीमिया माइनर का मिलान
थैलेसीमिया से मुक्ति के लिए 15 नवंबर को बच्चों की मुफ्त एचएलए जांच की जाएगी आयोजित, निःशुल्क रजिस्ट्रेशन हेतु अभी कॉल करे ब्लड बक्सर के नंबर 8804433322, 9473114054, 8789416636 , 8789449238


न्यूज़ विज़न। बक्सर
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को हर 15 दिन में रक्त चढ़ना पड़ता है । बोन मैरो ट्रांसप्लांट कर इसका स्थाई इलाज संभव है । इसके लिए आगामी 15 नवंबर 2025 को चौथी बार मां वैष्णो देवी सेवा समिति और मां ब्लड सेंटर द्वारा महाराणा प्रताप भवन पटना में मुफ्त जांच शिविर का आयोजन किया जा रहा है । यह जानकारी आयोजन समिति तथा ब्लड बक्सर के संस्थापक प्रियेश ने दी कहा कि शिविर में जांच के लिए पूर्व पंजीयन करने वाले ऐसे लोगों की एचएलए मैचिंग जांच की जाएगी। जो अपने सगे भाई या बहन के साथ आएंगे वही जांच करा सकेंगे ।
बताते चले कि भारत सरकार और बिहार सरकार के पहल पर अब तक 57 बच्चों का निशुल्क बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराया जा चुका है। अब वह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं । एच एल ए जांच हेतु पंजीयन पूर्णता निशुल्क किया जाएगा । इसके लिए आप हमारे ब्लड बक्सर के नंबर 8804433322 पर अथवा इन 9473114054, 8789416636 , 8789449238 नंबरों पर भी कॉल करके रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। यह जांच नारायण हेल्थ बेंगलुरु के डॉक्टर सुनील भट्ट के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम करेगी ।
सगे भाई या बहन के साथ आने पर ही हो सकेगी या मांगी जांच बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने के पहले जरूरी है पीड़ित की यह एचएलए जांच क्यों जरूरी है एचएलए जांच
एचएलए का मतलब होता है ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन । एचएलए मैचिंग कैंप बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी है । इसमें भाई या बहन की लार की जांच की जाती है 100% मैच होने पर थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराया जाता है। जिसमें यह आम बच्चों की तरह जिंदगी जी सकते हैं। निजी जांच केदो में ला जांच के लिए एक अच्छी और मोटी रकम लगती है जो अनुमंता 20000 से ₹25000 होती है। जिसका वय सबसे संभव नहीं हो पता । जर्मनी के डीकेएमएस मस्त फाउंडेशन इस जांच शिविर में सहयोग दे रही है। डॉक्टर के अनुसार माइनर थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों से जो बच्चे जन्म लेते हैं वह मेजर थैलेसीमिया से पीड़ित होते हैं । यदि शादी से पहले एचबीए 2 जांच कर ली जाए तो थैलेसीमिया मेजर बच्चों की धरती पर आने से रोका जा सकता है । जिससे थैलेसीमिया के विरोध में लड़ाई एक अच्छी पहल होगी।





