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जवनिया गांव में मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय बक्सर व साबित खिदमत फाउंडेशन ने चलाया राहत अभियान

गंगा की भीषण कटाव से मिटने के कगार पर भोजपुर जिला के जवनिया गांव : डॉ दिलशाद 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

बिहार के भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड अंतर्गत जवनिया गांव में गंगा नदी की भीषण कटाव और बाढ़ से उत्पन्न आपदा से लोग त्रस्त हैं। गांव की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। गंगा के कटाव की चपेट में आकर अब तक जवनिया गांव के लगभग 200 से अधिक घर नदी में विलीन हो चुके हैं। धीरे-धीरे गांव का विद्यालय भी खतरे की जद में आ चुका है, और दामोदरपुर तक बाढ़ का पानी फैल चुका है। इस आपदा से पूरा क्षेत्र अस्त-व्यस्त हो गया है।

 

स्थिति की भयावहता को देखते हुए मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय बक्सर तथा साबित खिदमत फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बाढ़ राहत कार्यक्रम चलाया गया। दोनों संस्थाओं की ओर से बिहार प्रदेश सचिव डॉ. दिलशाद आलम ने शनिवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और जमीनी हालात का जायजा लिया। उन्होंने पीड़ितों के लिए राशन, दवाइयां, पीने का पानी तथा अन्य आवश्यक राहत सामग्री की व्यवस्था करवाई। डॉ. आलम ने मौके पर मौजूद ग्रामीणों से मुलाकात की और कहा कि अब स्थिति विकराल हो चुकी है। केवल सरकार नहीं, सभी सामाजिक संगठनों और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा। बचाव कार्यों में तेजी लाई जा रही है और हर संभव मदद दी जा रही है।

 

इस दौरान जवनिया गांव के विद्यालय में करीब 1000 बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित की गई। राहत किट में चावल, दाल, तेल, नमक, सूखा खाद्यान्न, प्राथमिक उपचार किट, मास्क, सेनेटरी पैड, और पीने का साफ पानी शामिल था। डॉ. दिलशाद आलम ने आरा के सांसद और स्थानीय विधायक को भी स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया, ताकि सरकार द्वारा त्वरित हस्तक्षेप किया जा सके। उन्होंने कहा कि केवल भोजपुर ही नहीं, बक्सर जिले में भी गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, और वहां भी राहत और बचाव की तैयारियां तेज की जा रही हैं।

 

कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता इम्तियाज अंसारी, प्रभुनाथ, जनार्दन, मनोज शाह, ब्रजेश राय, मिथिलेश, मनीष सहित कई स्वयंसेवक उपस्थित रहे, जिन्होंने राहत वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. आलम ने सभी सहयोगी दानकर्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे मुश्किल समय में इंसानियत और सहयोग की भावना ही सबसे बड़ी ताकत होती है। इस बाढ़ राहत कार्यक्रम के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया कि समाज सेवा और त्वरित मानवीय सहायता ही प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है। वर्तमान में प्रशासनिक सहायता की भी आवश्यकता है ताकि पुनर्वास और स्थायी समाधान की दिशा में ठोस पहल की जा सके।

 

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