RELIGION

गुरुदेव के आदेश पर वैदेही वाटिका पहुंचे प्रभु श्रीराम, जनक नंदिनी से मिल नैना हुए चार  

पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार के 55  वें सिय-पिय मिलन महोत्सव में फुलवारी लीला में मुख्य माली के भूमिका में दिखे महंत राजाराम शरण दास जी महाराज 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार के 55  वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के सातवें दिन बुधवार को पुष्प वाटिका लीला का आयोजन हुआ। जिसमें प्रभु श्रीराम व जनक दुलारी जानकी ने पहली बार एक-दूसरे का दर्शन किया।

 

सीताराम विवाह महोत्सव आयोजन के लिए बने विशाल पंडाल के बीचो बीच स्थित मंच को वैदेही वाटिका बनाया गया था। जिसे विभिन्न तरह के रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया था। गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से उनके पूजा हेतु प्रभु श्रीराम, अनुज लक्ष्मण के साथ वैदेही वाटिका पहुंचे हैं। वहां वाटिका की रखवाली कर रहे मालियों से उनकी मुलाकात होती है। मालियों से प्रभु श्रीराम पुष्प के लिए वाटिका में प्रवेश की इजाजत मांगते हैं। लेकिन माली उन्हें अंदर जाने से मना कर देते हैं।

 

माली गण दोनों भाइयों के साथ हास-परिहास कर उन्हें वहां उलझाए रखते हैं। वे उनसे पद गायन के माध्यम से सवाल करते हैं कि आप तो पुष्प से भी कोमल हैं, सो आपसे फूल तोड़ना संभव कैसे है। काफी जवाब-सवाल के बाद मालियों द्वारा उन्हें प्रवेश के बदले मां जानकी की जयघोष करने की शर्त रखी जाती है। पर वे मर्यादा का हवाला देकर जयघोष से इंकार कर देते हैं। हालांकि मालियों द्वारा प्रेम का हवाला देकर उन्हें जयकारा लगाने का दोबारा मौका दिया जाता है। जिसके पश्चात प्रेममयी जिद्द के आगे प्रभु श्रीराम मां सीता की जयकारा लगाते हैं। फिर उन्हें प्रवेश की अनुमति देते हैं। प्रधान माली की भूमिका आश्रम के महंत राजाराम शरण जी महाराज ने निभाई।

गौरी पूजन को पुष्प वाटिका पहुंची मां सीता

दूसरी तरफ गौरी पूजन के लिए सहेलियों संग मां जानकी का वाटिका में आगमन होता है। इसी क्रम में एक सहेली वाटिका भ्रमण करने निकल जाती है। वे पुष्प तोड़ रहे प्रभु श्रीराम व लक्ष्मण को देखती है और अपनी सुध-बुध खो बैठती है। दौड़कर बावरी सखी सहेलियों के पास पहुंचती है और उनसे दोनों भाइयों के सौंदर्य की बखान करती है।मंत्रणा के बाद मां जानकी वाटिका की शोभा देखने के लिए जाती है। इसी बीच पुष्प तोड़ रहे प्रभु श्रीराम व मां जानकी की आंखें चार हो जाती है।

मां गौरी ने मनोकामना पूर्ण होने को दिया आशीर्वाद

पुष्प वाटिका से मंदिर लौटकर मां सीता माता गौरी की पूजा करती है और मन ही मन वरण कर चुकी श्रीराम से विवाह की कामना करती है। माता गौरी मुस्कान के साथ मां सीता की मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद देती हैं।

खांकी बाबा की पुण्यतिथि पर महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय में हुआ विग्रह का पूजन, की गई पुष्पांजलि

इसके अलावा महोत्सव में रोज की भांति प्रातः काल से ही आश्रम में विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए। आश्रम के परिकरों द्वारा श्री रामचरितमानस के नवाह्न पारायण के साथ कार्यक्रमों का शुभारंभ किया गया। दमोह की संकीर्तन मण्डली द्वारा नौ दिवसीय अखण्ड अष्टयाम हरि नाम संकीर्तन जारी रहा.पूज्य खाकी बाबा सरकार की पुण्यतिथि पर महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय परिसर स्थित मंदिर में स्थापित उनके विग्रह का पूजन-अर्चन किया गया और समागत संत वृंदों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया।


रात को आश्रम के परिकरों द्वारा धनुष यज्ञ लीला का मंचन किया गया। इस अवसर पर श्री धाम वृंदावन के मलूक पीठाधीश्वर जगदगुरु श्री राजेंद्र देवाचार्य जी महाराज व बसांव पीठाधीश्वर श्री अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज के अलावा अयोध्या के विद्या भास्कर जी, वृंदावन के महंत बनवारी दास जी महाराज, बृज बिहारी शरण जी महाराज, जनकपुर के मखाना बाबा, संगीता आचार्य स्वामी, बनवारी लाल जी शर्मा स्वामी फतेह कृष्ण शास्त्री समेत कई संत व धर्माचार्य उपस्थित थे।

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