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पाला से आलू और टमाटर उत्पादक किसानों की मुसीबत बढ़ी

कृषि विशेषज्ञ ने किसानों को बताया पाला से बचाव का तरीका

न्यूज विजन। बक्सर
बीते एक सप्ताह से लगातार ठंड में इजाफा हो रहा है। धूप नहीं निकलने और सर्द पछुआ हवा से लोग गलने महसूस कर रहे हैं। तापमान में गिरावट का असर मानव जीवन के साथ ही फसलों पर भी पड़ रहा है। पाला से जिले के आलू, पपीता, बैंगन, टमाटर, मिर्चा और टमाटर उत्पादक किसानों की मुसीबत बढ़ गई है। जिस तरह से पाला पड़ रहा है, उससे सब्जी फसल में इन फसलों की रंगत फीकी पड़ सकती है। बता दें कि जिले बड़ी आबादी सब्जियों की खेती पर निर्भर है। जिले के सिमरी, डुमरांव, ब्रह्मपुर, भोजपुर, सदर प्रखंड के चुरामनपुर, अहिरौली, नदांव समेत अन्य गांवों में किसान बड़े भूभाग में सब्जियों की खेती करते हैं। केविके के कृषि विशेषज्ञ डॉ रामकेवल ने कहा कि पाला से उपरोक्त फसलों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

 

पाला पड़ने से प्रभावित होती है चौड़ी और कोमल पत्तियों वाली फसल:
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ रामकेवल ने बताया कि पाला पड़ने की स्थिति में कोमल और चौड़ी पत्तियों वाली फसल प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है। पाला का सबसे अधिक टमाटर और आलू की फसल प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि समय रहते पाला से फसलों को बचाने का उपाय नहीं करने पर उत्पादन पर असर पड़ सकता है, जिससे किसानों को आर्थिक रूप से नुकसान सहना पड़ सकता है।

 

पाला के प्रभाव से फटने लगती है फसलों की पत्तियां:
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डॉ रामकेवल ने बताया कि पाला पड़ने से टमाटर और आलू फसल सबसे अधिक प्रभावित होती है। इसके पत्तियों में जो पानी रहता है, जमने लगता है। ऐसी स्थिति में पत्तियां फटने लगती है। ऐसी स्थिति में आलू में लगने वाला कंद एवं टमाटर में लगने वाले फूलों में कमी आ जाती है। पत्तियों में गलन शुरू हो जाती है। पत्तियां सिकुड़ने लगती है। फसल का विकास रूक जाता है, जिसके चलते उत्पादन प्रभावित होता है।

कृषि विशेषज्ञ ने कहा-पाला से बचाने के लिए करें सिंचाई:
केविके के विशेषज्ञ डॉ रामकेवल ने किसानों को आलू और टमाटर की फसल को पाला से बचाने के लिए सिंचाई करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि शाम के समय में हल्की सिंचाई करने से खेत के आस-पास का तापमान गिरता नहीं है। 12 से 14 डिग्री तापमान रहता है। उन्होंने कहा कि अधिक ठंड और कोहरा पड़ने पर पाला से फसल को बचाने के लिए खेत के मेढ़ पर अलाव जलाएं। ऐसा करने से आसपास ठंड का प्रभाव कम होने से फसलों को नुकसान होने की आशंका कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि किसी भी फफूंदनाशी रसायन का छिड़काव कृषि विशेषज्ञ से सलाह ले कर करें।

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