तन से सेवा, मन से सुमिरन व धन से सेवा जो बलि की भांति करता है, भगवान उसके द्वारपाल बनते हैं : रणधीर ओझा




न्यूज़ विज़न। बक्सर
जिले के इटाढी नगर पंचायत स्थित स्थानीय नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा महापुराण के चौथे दिन भक्तमाली मामा जी महाराज के कृपापात्र आचार्य रणधीर ओझा ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का वर्णन किया। इस दौरान भगवान कृष्ण के बाल रूप की भव्य झांकी निकाली गई।









उन्होंने कहा कि जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुईं, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। जीव यदि पूरी निष्ठा से प्रभु की भक्ति करता है तो वह बलि बनता है एवं उस पर कृपा करने के लिए भगवान स्वयं वामन के रूप में आते हैं। परमात्मा जब द्वार पर आते हैं तो तीन कदम पृथ्वी अर्थात तन मन एवं धन जीव से मांगते हैं । तन से सेवा, मन से सुमिरन व धन से सेवा जो बलि की भांति करता है, भगवान उसके द्वारपाल बनते हैं और वही अक्षुण्ण साम्राज्य को प्राप्त करता है। मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रुप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। वह परमात्मा है।




उसके बाद भी वह अपने माता पिता के चरणों को प्रणाम करने में कभी संकोच नहीं करते थे। यह सीख हमें भगवान श्रीकृष्ण से सभी को लेनी चाहिए। आज की युवा पीढ़ी धन कमाने में लगी हुई है लेकिन अपनी कुल धर्म और मर्यादा का पालन बहुत कम कर रहे हैं। मौके पर श्याम बिहारी पाठक, द्वारिका दूबे, कमलेश पाठक, गोविन्द पाठक, भगवान् वामन चेतना मंच के संजय ओझा, अभिषेक ओझा, सरोज तिवारी, अवधेश चौबे, प्रभाकर पाठक, मंटू पाठक, मृत्युंजय तिवारी, दयानंद उपाध्याय, गिरीश दुबे, ओमांस, रूद्रांस समेत अन्य लोग मौजूद थे।

