CRIME

बक्सर में पूर्व सैनिक से 23 लाख की धोखाधड़ी, पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल

पुणे से अपने गांव उद्योग लगाने लौटे थे पूर्व सैनिक, पुलिस पदाधिकारियों के यहाँ लगा रहे है चक्कर, तीन महीने बाद भी कार्रवाई नहीं

न्यूज़ विज़न।  बक्सर
जिले के ब्रह्मपुर थाना क्षेत्र में पुणे से अपने गांव लौटे पूर्व सैनिक बिनोद कुमार ओझा से करीब 23 लाख रुपये की कथित धोखाधड़ी का मामला लगातार जोर पकड़ता जा रहा है। एफआईआर दर्ज हुए तीन महीने गुजरने के बाद भी न तो आरोपी गिरफ्तार हुए हैं और न ही जांच में कोई ठोस प्रगति देखने को मिली है। इससे स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। वही इस मामले में डुमराँव एसडीपीओ पोलस्त कुमार ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पुलिस जांच कर रही है। जांच के आधार पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।

 

कैसे हुई कथित ठगी?

पिछले 25 वर्षों से पुणे में रह रहे भूतपूर्व सैनिक बिनोद कुमार ओझा ने बिहार सरकार की औद्योगिक प्रोत्साहन नीति से प्रेरित होकर अपने गांव देवकुली में उद्योग स्थापित करने का निर्णय लिया था। उद्यम के लिए फोरलेन के नजदीक जमीन खरीदनी थी। इसी दौरान उन्होंने अपने परिचित संजय कुमार ओझा उर्फ मुना ओझा और सुनीता ओझा पर भरोसा किया। पीड़ित बिनोद ओझा के अनुसार, दोनों पर आरोप है कि जमीन उपलब्ध कराने के नाम पर लगभग 23 लाख रुपये ले लिए, लेकिन न जमीन दी और न ही पैसे लौटाए। उलटा रुपये वापस मांगने पर धमकी दी गई।

 

एफआईआर दर्ज होने में भी हुई देरी :

पीड़ित के मुताबिक, उन्होंने घटना की शिकायत ब्रह्मपुर थाने में की, लेकिन पुलिस ने लम्बे समय तक एफआईआर दर्ज नहीं की। बाद में 2 सितंबर 2025 को एसपी को आवेदन देने के बाद 9 सितंबर को एफआईआर संख्या 176/25 दर्ज हुई। इसके बावजूद तीन महीने बाद भी न गिरफ्तारी हुई है और न ही जांच में कोई महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

पुलिस पर लापरवाही का आरोप:

पूर्व सैनिक बिनोद ओझा का कहना है कि केस डायरी को सुपरविजन के लिए भेजने में देरी, सुपरविजन रिपोर्ट आने में विलंब और गिरफ्तारी आदेश होने के बावजूद आरोपियों को न पकड़ना पुलिस की निष्क्रियता दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, लेकिन पुलिस की कार्रवाई सुस्त नजर आ रही है।

उद्योग लगाने का फैसला अब जोखिम भरा लगता है :

बिनोद ओझा ने कहा कि महाराष्ट्र छोड़कर बिहार में उद्योग लगाने का उनका फैसला अब जोखिम भरा महसूस हो रहा है।
“यदि किसी समस्या पर पुलिस का यही रवैया रहा तो उद्यमी अपना व्यवसाय छोड़कर थाने–दफ्तर का चक्कर ही काटते रह जाएंगे।” पीड़ित पूर्व सैनिक न्यायिक कार्रवाई में तेजी और आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।

 

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