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बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ अपनी मांगों को लेकर कल से करेगा आंदोलन का शुभारम्भ 

11 सूत्री मांगों को लेकर होगा आंदोलन, मांग पूरी नहीं होने पर 7 सितंबर से बेमियादी हड़ताल की चेतावनी

न्यूज़ विज़न।  बक्सर

बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ ने राज्यकर्मी का दर्जा, स्थायीकरण, अनुकंपा पर नियुक्ति तथा आकस्मिक निधन पर उपादान सहित 11 सूत्री मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की है। संघ ने साफ किया है कि अगर उनकी मांगें 3 सितंबर तक पूरी नहीं की जाती हैं तो 7 सितंबर से अनिश्चितकालीन (बेमियादी) हड़ताल शुरू की जाएगी।

 

संघ के प्रदेश अध्यक्ष आशीष कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस संबंध में पत्र भेजकर अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार वर्षों से कार्यपालक सहायकों की उपेक्षा कर रही है, जबकि वे राज्य के सभी विभागों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। संघ द्वारा घोषित आंदोलन का चरणबद्ध कार्यक्रम के अनुसार 20 से 22 अगस्त तक राज्यभर के सभी विभागों में कार्यरत कार्यपालक सहायक काला बिल्ला लगाकर कार्य करेंगे। 23 अगस्त को जिला मुख्यालय स्तर पर मशाल जुलूस निकाला जाएगा। 24 अगस्त को पटना के गर्दनीबाग में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। 28 और 29 अगस्त को कार्यपालक सहायक सांकेतिक उपस्थिति के साथ कार्य बहिष्कार करेंगे। 2 और 3 सितंबर तक सामूहिक अवकाश लेकर विरोध दर्ज कराया जाएगा। 7 सितंबर से मांगे पूरी नहीं होने पर बेमियादी हड़ताल शुरू होगी।

 

बक्सर जिला अध्यक्ष दीनानाथ सिंह ने बताया कि यह आंदोलन राज्य के हर जिले में व्यापक स्तर पर होगा और कार्यपालक सहायक एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाएंगे। उन्होंने संघ की प्रमुख मांगो के बारे में बताया कि कार्यपालक सहायकों को राज्यकर्मी का दर्जा एवं समान वेतनमान मिले। सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुरूप वेतन लागू हो। पद की शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट (10+2) निर्धारित की जाए। आकस्मिक निधन की स्थिति में 40 लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान हो। अनुकंपा के आधार पर आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाए। सभी कार्यपालक सहायकों को चिकित्सीय लाभ उपलब्ध कराया जाए। सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर 36 माह का वेतन एकमुश्त परिवार को दिया जाए। कार्यकाल स्थायी किया जाए और सेवा सुरक्षा सुनिश्चित हो। पदोन्नति एवं सेवा शर्तों में पारदर्शिता लाई जाए। कार्य का दबाव कम करने हेतु पर्याप्त संख्या में कार्यपालक सहायकों की नियुक्ति हो। एवं कार्यकाल के दौरान राज्यकर्मियों की तरह सभी सुविधाएं उपलब्ध हों।

संघ नेताओं का कहना है कि सरकार बार-बार आश्वासन देती है लेकिन अब तक ठोस पहल नहीं हुई है। ऐसे में वे मजबूर होकर आंदोलन का रास्ता अपना रहे हैं। अगर सरकार समय रहते उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती तो राज्य भर में सरकारी कामकाज प्रभावित होना तय है।

 

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