भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती मनायी गयी
सहयोग संस्था के तत्वाधान में पिछले 12 वर्षों से पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती पर स्मारिका का किया जाता है विमोचन




न्यूज़ विज़न। बक्सर
बुधवार को शहर के बसांव मठ परिसर में सहयोग संस्था द्वारा भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की जयंती संस्था के अध्यक्ष जितेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। उक्त अवसर पर एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन श्री श्री 1008 अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज एवं अन्य आगंतुक अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ रमेश सिंह निदेशक संत जॉन प्री सेकेंडरी स्कूल डुमरांव उपस्थित रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में संजय कुमार तिवारी विधायक सदर, राजीव उपाध्याय भाजपा नेता उत्तर प्रदेश, डॉक्टर ए के सिंह दन्त चिकित्सक, डॉक्टर एस एन उपाध्याय, डॉ एन कुमार, वर्षा पांडे, डॉक्टर पीके पांडे, डॉक्टर ए.डी. उपाध्याय की गरिमा में उपस्थिति रही।








संस्था के अध्यक्ष जितेंद्र मिश्रा ने आगत अतिथियों को स्वागत माला अंग वस्त्र एवं प्रशस्ति पत्र देकर किया। तत्पश्चात सभी अतिथियों के द्वारा स्मारिका का विमोचन किया गया। अपने अध्यक्षीय संबोधन के दौरान श्री मिश्रा ने कहा कि विगत वर्ष 2013 से ही अनवरत महामना की जयंती मनाई जा रही है। वही बसांव पीठाधीश्वर ने इस पुनीत कार्य के लिए अपना साधुवाद दिया। सदर विधायक ने मालवीय जी की जयंती प्रत्येक वर्ष मनाने के लिए संस्था के हर संभव मदद का आश्वासन दिया। वर्षा पांडे ने कहा कि इस धरती पर महामना का व्यक्तित्व एवं कृतित्व अमिट छाप बनकर रह गया है। डॉक्टर ए.के. सिंह ने कहा कि अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए भी महामना के जयंती मनाना एवं स्मारिका का प्रकाशन संस्था के जितेंद्र मिश्रा के प्रयास से फलीभूत हो रहा है। इससे हम सभी को सहयोग संस्था को अपने स्तर से सहयोग करने की आवश्यकता है। वही यह कार्यक्रम हर वर्ष आयोजित होता रहेगा।



कार्यक्रम में बबलू तिवारी, गोपाल जी सी सम्राट, रामेश्वर प्रसाद वर्मा, अजय मिश्रा, अखिलेश पाठक, विजय कुमार पाठक, जितेंद्र चौबे, सत्येंद्र लाल, रणविजय ओझा, विजय वर्मा, डॉक्टर प्रदीप पाठक, हरिशंकर दुबे, शिव बहादुर पंडित प्रीतम, महेश्वर ओझा, सुनील ओझा, प्रेम कुमार मिश्रा, हिमांशु चतुर्वेदी, वशिष्ठ पांडे आदि भक्तों ने अपने विचार रखे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन विनोधर ओझा ने किया।
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