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होली पर्व पर पोलियो की खुराक पिलाने के लिए चलेगा विशेष अभियान

24 से 29 मार्च तक तैनात किए जाएंगे ट्रांजिट दल

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 

पोलियो को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क है। इस क्रम में जिले में 24 से 29 मार्च तक होली पर्व को देखते हुए विशेष अभियान चलाया जाना है। जिसमें शून्य से पांच वर्ष आयु वर्ग तक के बच्चों को पल्स पोलियो की खुराक दिया जायेगा। इसके लिए रेलवे स्टेशन तथा बस स्टैंडों पर स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य कर्मियों का ट्रांजिट दल नियुक्त किया जायेगा। बक्सर और डुमरांव रेलवे स्टेशन राज्य का एक महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन है, जिनसे होकर बच्चे बक्सर जिला समेत उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों के गांवों में प्रवेश करते हैं। ऐसी जगहों पर ट्रांजिट दल के माध्यम से शून्य से पांच वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को चिह्नित करते हुए उन्हें पोलियो खुराक देकर प्रतिरक्षित किया जाना है। इसे लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार के अपर कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर आवश्यक निर्देश दिये हैं। ताकि, जिले में पोलियो के प्रवेश की संभावना को खत्म किया जा सके।

होली पर होता है परिवारों का आवागमन :
पत्र में कहा गया है कि राज्य को पोलियो संक्रमण से बचाने के उद्देश्य से होली त्योहार के अवसर पर बाहर से आने वाले शून्य से पांच वर्ष आयुवर्ग के बच्चों को रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड आदि जगहों पर ट्रांजिट दल के माध्यम से पल्स पोलियो की खुराक पिला कर प्रतिरक्षित किया जाता है। राज्य को पोलियो मुक्त हुए सफलतापूर्वक 13 वर्ष एवं चार माह पूरा कर लिया गया है। होली पर्व के दौरान बिहार में राज्य के बाहर से परिवारों का आवागमन होता है। इस कारण से राज्य में पोलियो वायरस के आने की संभावना रहती है। इसलिए राज्य को पोलियो मुक्त बनाये रखने के लिए इंडिया एक्सर्पट एडवाइजरी ग्रूप की अनुशंसा पर होली पर्व के दौरान बिहार में आने वाले तथा बिहार से जाने वाले शून्य से पांच वर्ष आयुवर्ग तक के सभी बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाना है।

पोलियो है संक्रामक बीमारी :

सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि पोलियो बहुत ही संक्रामक बीमारी है। यह संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने से या फिर उनके छींकने या खांसने से हवा में फैली संक्रमित बूंदों को सांस के जरिये अंदर लेने से फैलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की आंतों, श्लेम (म्यूकस) और लार में पाया जाता है। पोलियो की बीमारी एक वायरस की वजह से होती है। संक्रमित भोजन, पानी, या हवा में मौजूद संक्रमित बूंदों को मुंह के जरिये अंदर लेने से यह बीमारी फैलती है। पोलियो का वायरस आपके शरीर में प्रवेश करने के बाद तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है। कुछ लोगों को इसमें केवल फ्लू के हल्के लक्षण ही महसूस होते हैं, मगर पोलियो की वजह से लकवा हो सकता है और ज्यादा गंभीर हो तो यह जानलेवा भी हो सकता है। बच्चों को, खासकर कि पांच साल से कम उम्र वालों को यह बीमारी होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। पोलियो का कोई इलाज नहीं है, मगर पोलियो का टीका बच्चे का इस बीमारी से बचाव कर सकता है।

 

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