केवट संवाद : आपके चरण स्पर्श होते ही जब पत्थर भी नारी बन गई, मेरी नैया लकड़ी की है वगैर पैर धोवे नाव को आगे नहीं ले आऊंगा
रामलीला में राम वनवास के दौरान केवट संवाद का हुआ मंचन, वनवास का रथ किया नगर भ्रमण




]न्यूज़ विज़न। बक्सर
किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर रामलीला समिति के तत्वाधान में चल रहे 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव के दसवें दिन क्रम में वृंदावन सेआये श्री नंद नंदन रासलीला एवं रामलीला मंडल के स्वामी श्री करतार बृजवासी के सफल निर्देशन में सोमवार को देर रात्रि मंचित रामलीला में “राम वनवास व केवट प्रसंग” का मंचन किया गया।









“अति आनंद उमंग अनुरागा, चरण सरोज पखारन लागा..!”



केवट प्रसंग में दिखाया गया कि मंत्री सुमंत जी रथ पर श्री राम, लक्ष्मण और सीता जी को बैठाकर वन को छोड़ने जाते हैं. जिसमे दिखाया गया कि सायं की रामलीला मैदान से रथ निकलकर मॉडल थाना होते हुए सीधे स्टेशन रोड स्थित कमलदह सरोवर पहुंचती है। और वहाँ कुछ प्रसंग मंचन के पश्चात् पून: वहाँ से लौटकर रामलीला मंच पहुँचती है जहां पूरे प्रसंग का मंचन होता है।
वही श्री रामचंन्द्र लक्ष्मण,सीता और मंत्री सुमंत के साथ वन में पहुंचते है वहां उनकी भेंट निषाद राज से भेंट होती है। जहाँ निषाद राज प्रभु की भांति भांति सेवा करते हैं. वहीं पर प्रभु श्री राम निषादराज से बरगद का दूध मंगाते हैं और उसी से अपने अपने बालों की जटा बनाते हैं. यह देखकर मंत्री सुमंत का हृदय दुखित हो जाता है। और वह प्रभु से वन में न जाने के लिए विनती करते हैं. श्री राम जी मंत्री को दुखित देख धीरज बंधाते हैं। और श्री सीता जी को वन जाने से मना करते हैं. परंतु सीता लौटने से इनकार कर देती है तब प्रभु श्री राम सुमंत को वहां से वापस कर देते हैं. और केवट से नदी पार करने के लिए नाव मांगते हैं. तभी केवट और राम के बीच संवाद होता है, केवट कहता है भगवान मै आपके मरम को जानता हूं। आपके चरण रज का स्पर्श होते ही जब पत्थर भी नारी बन गई, यह तो मेरी नैया लकड़ी की है जब तक आपका पैर नहीं धोऊंगा मैं नाव को आगे नहीं ले आऊंगा, तब भगवान की स्वीकृति पर केवट श्री राम के चरणों को पकड़ता है, और उनके चरणों धोकर नदी पार करता है।

