RELIGION

विजयादशमी महोत्सव के तीसरे दिन नन्द महोत्सव और मनु सतरूपा व  रावण तपस्या का हुआ मंचन 

 ब्रजमंडल में मनाई जा रही है खुशियाँ गए जा रहे है बधाई गीत "नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की....;

न्यूज़ विज़न ।  बक्सर 

शहर के किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर चल रहे 21 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव के तीसरे दिन सोमवार को वृंदावन से पधारे सुप्रसिद्ध रामलीला मंडल श्री नंद नंदन रासलीला एवं रामलीला मंडल के स्वामी श्री करतार बृजवासी के सफल निर्देशन में वृंदावन के कलाकारों द्वारा देर रात्रि मंचित रामलीला प्रसंग के दौरान “मनु शतरूपा व रावण तपस्या” का मंचन किया गया। वही रासलीला में नन्द महोत्सव प्रसंग को दिखाया गया।   

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रामलीला में दिखाया गया कि महाराज मनु अपने सभा कक्ष में बैठे हुए मन में विचार करते हैं कि मुझे राज करते-करते काफी समय हो चुका अब अपने पुत्र उत्तानपाद को सिंहासन सौंप कर भागवत भजन करते हुए तपस्या में समय व्यतीत करना चाहिए। ऐसा निर्णय करके महाराज मनु अपनी महारानी शतरूपा के साथ नेमिसारण क्षेत्र वन  प्रदेश को तपस्या के लिए चल पड़ते हैं वहां पहुंचकर महाराज मनु एवं शतरूपा घोर तप करते हैं उनके कठोर तप को देखकर भगवान प्रसन्न होकर महाराज मनु से वरदान मांगने को कहते हैं तब महाराज मनु नारायण से उन्हीं के समान पुत्र का वर मांगते हैं यही महाराज मनु आगे चलकर दशरथ के रूप में और शतरूपा कौशल्या के रूप में जन्म देती है। इधर रावण व कुंभकरण भी तपस्या करते हैं उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव उन्हें वरदान देते हैं रावण का विवाह मंदोदरी के साथ होता है रावण घोर अत्याचार करने लग जाता है रावण के पुत्रों एवं पौत्रों की गणना कोई नहीं कर सकता था एक-एक योद्धा जगत को जीतने की क्षमता रखता था यह देखकर रावण राक्षस दल को गाय और ब्राह्मणों पर अत्याचार करने का आदेश देता है और राक्षस दल घोर अत्याचार करने लगते हैं. उक्त लीला को देखकर श्रद्धालुगण भाव विभोर हो जाते हैं। 

वहीं  दिन में रासलीला के दौरान “नंद महोत्सव” प्रसंग का मंचन किया गया जिसमें दिखाया गया कि जब ब्रजमंडल में बृजवासियों को नंद बाबा के यहां 85 वर्ष के उम्र में बच्चे ने जन्म लिया है, इस बात की खबर लगते ही सभी बृजवासी अपने-अपने घरों से बधाई सामग्रियां लेकर नंद बाबा के घर पहुंचते हैं और सभी खुशियां मनाते हुए बधाई के गीत गाते हैं “नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….;उक्त लीला का दर्शन कर श्रद्धालु रोमांचित होकर श्री कृष्ण की जयकार करते हैं, सारा परिसर जयघोष से गुंजायमान हो जाता है।  

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