भगवान शंकर श्रीराम जी के सेवक स्वामी और मित्र भी है : श्रीराम चरित्र दास जी महाराज
रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना की सुनाई सम्पूर्ण कथा




न्यूज विजन। बक्सर
रामरेखा घाट स्थित रामेश्वर नाथ मंदिर परिसर में जय भोलेनाथ ग्रुप एवं पंडा समाज द्वारा चल रहे शिव कथा के दूसरे दिन गोस्वामी तुलसीदास जी पर भगवान शिव की कृपा का प्रसंग विस्तार पूर्वक सुनाए।
पूज्य मामा जी महाराज के प्रथम कृपा पात्र शिष्य श्री रामचरित दास जी महाराज ‘महात्मा जी महराज’ ने कथा के दौरान बताये की तुलसीदास जी के जन्म के दूसरे दिन ही माता असार संसार से चल बसीं । दासी चुनियाँ ने बड़े प्रेम से बालक का पालन-पोषण किया। जब बालक प्रकट हुआ तब उसके मुख में बत्तीस दांत थे । प्रकट होते ही उसने मुख से राम नाम का उच्चारण किया अतः बालक का नाम पड गया रामबोला । दासी चुनिया समझ गयी थी की यह कोई साधारण बालक नहीं है । संसार के लोग इस बालक को अमंगलकारी कहने लगे । संसार के लोग बालक हो हानि ना पहुंचाए इस कारण से दासी चुनिया बालक का अलग जगह पालन पोषण करती रही परंतु जब तुलसीदास लगभग साढ़े पाँच वर्ष के हुए तब चुनियाँ का भी देहांत हो गया । अब तो बालक अनाथ सा हो गया । वह द्वार – द्वार भटकने लगा । माता पार्वती को उस होनहार बालक पर दया आयी। एक ब्राह्मणी का वेष धारण कर माता पार्वती प्रतिदिन गोस्वामी जी के पास आतीं और इन्हें अपने हाथों से भोजन करा आती थीं।
इधर भगवान शंकर जी की प्रेरणा से रामशैल पर रहने वाले श्रीअनन्तानन्दजी के प्रिय शिष्य श्रीनरहर्यानन्दजी ने इस बालक को ढूंढ निकाला और उसका नाम रामबोला रखा । शंकर जी ने उनसे कहा था की यह बालक विश्व के कल्याण हेतु प्रकट हुआ है । उसे वे अयोध्या ले गए। बाबा तुलसीदास जी पहले मानस संस्कृत में लिखना चाह रहे थे, परन्तु भगवान शिव ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिये और उन्हें जन भाषा अवधी में रचना करने का आदेश दिया और यह भी कहा की उनके आशीर्वाद से यह रचना सामवेद के सामान फलवती होगी। भगवान शिव के दिये आदेश को पालन करते हुए बाबा तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना शुरू कर देते हैं।








साथ ही ‘सेवक स्वामि सखा सिय पी के। हित निरुपधि सब बिधि तुलसी के॥’ प्रसंग की सम्पूर्ण व्यख्या सुनाई। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर – भगवान श्री राम के सेवक (दास), स्वामी (इष्ट) और सखा (मित्र) भी है। जोकि सहज ही मेरे एवं सभी भक्तों के सभी प्रकार के हित साधक -कल्याण करने वाले हैं । साथ ही रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना की सम्पूर्ण कथा सुनाई।

