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नदांव गांव का ऐतिहासिक नारद सरोवर अतिक्रमण की चढ़ा भेंट, आस्था का केंद्र बना शराब व जुए का अड्डा

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 
धार्मिक दृष्टिकोण से अति प्रसिद्ध बक्सर जिले के नदांव गांव स्थित ऐतिहासिक नारद सरोवर आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। कभी यह पोखरा अपनी प्राकृतिक सुंदरता, स्वच्छ जल और शांत वातावरण के लिए पूरे जिले में मशहूर था, लेकिन आज यह अतिक्रमण, अवैध गतिविधियों और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बन चुका है।

 

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह सरोवर पहले श्रद्धालुओं और ग्रामीणों के लिए आस्था व सुकून का केंद्र हुआ करता था। सुबह-शाम महिलाएं यहां टहलने आती थीं, बच्चे खेलकूद और कसरत के लिए इस परिसर का उपयोग करते थे। लेकिन वर्तमान समय में स्थिति बिल्कुल उलट हो गई है। अब यह स्थान शराबियों और जुआरियों का अड्डा बन चुका है। रात होते ही यहां दारू पीने और बेचने वालों की भीड़ जुट जाती है, जिससे माहौल पूरी तरह असुरक्षित हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि सरोवर के चारों ओर गाय बांध दी जाती हैं। कई लोगों ने इसे गोबर रखने और गोइठा पाथने की जगह बना लिया है। इतना ही नहीं, कुछ लोगों ने तो पोखरे के परिसर में स्थायी रूप से अपना आवास भी बना लिया है, जिससे इसका क्षेत्र लगातार सिकुड़ता जा रहा है। सरोवर के पास बना स्वास्थ्य केंद्र भी बदहाली का शिकार है। यह केंद्र कभी-कभार ही खुलता है, जिससे ग्रामीणों को इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है। सुरक्षा और सुविधाओं के अभाव में महिलाएं और बच्चे अब यहां आने से कतराते हैं।

 

ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि जब सरपंच द्वारा अतिक्रमण हटाने या अव्यवस्था पर आपत्ति जताई जाती है, तो कुछ लोग SC/ST केस में फंसाने और जातीय एकजुटता दिखाकर अगले चुनाव में सबक सिखाने की धमकी देते हैं। इससे पंचायत स्तर पर भी कार्रवाई करने में भय का माहौल बना हुआ है। स्थिति यह है कि जहां पहले बच्चे दौड़ने और अभ्यास करने आते थे, अब उन्हें बक्सर शहर जाकर विभिन्न एकेडमी ज्वाइन करनी पड़ रही है। इससे गांव के युवाओं को भारी परेशानी हो रही है। इतना ही नहीं, सरोवर के मुख्य गेट के बाहर भी अतिक्रमण फैला हुआ है। सड़क के आधे हिस्से पर ईंट, गिट्टी और बालू का अवैध रूप से व्यवसाय किया जा रहा है, जिससे आवागमन बाधित होता है और कभी भी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।


ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से मांग की है कि नारद सरोवर को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए, अवैध गतिविधियों पर रोक लगे और इस ऐतिहासिक व धार्मिक धरोहर का जीर्णोद्धार कर इसे फिर से स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी भी इसकी महत्ता को समझ सके।

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