झूठे केस करने वाली महिला के खिलाफ पॉक्सो कोर्ट का एक्शन, महिला पर एफआईआर दर्ज करने का दिया आदेश


न्यूज़ विज़न। बक्सर
शुक्रवार पॉक्सो अदालत ने एक झूठे केस दर्ज कराने वाले के खिलाफ संज्ञान लिया है। न्यायालय ने केस दर्ज कराने वाली लड़की के मां और सूचक के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश जारी किया है। जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश छह विशेष न्यायाधीश पास्को अमित कुमार शर्मा की कोर्ट ने फैसला सुनाया।
कोर्ट सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सिकरौल थाना क्षेत्र के रहने वाले अनंत चौधरी ने पुलिस को बताया कि पीड़िता की मां उसकी समधन है। जिसकी नाबालिग बच्ची जब शौच के लिए गई थी उसी दौरान अंतू चौधरी और अन्य लोगों के द्वारा कट्टा एवं पिस्तौल दिखाकर दुष्कर्म किया गया। जब पीड़िता ने अपने परिजनों को घटना की सूचना दी। पीड़िता के परिजन जब आरोपियों के घर पहुंचे तो आरोपित भाग निकले। पुलिस ने 13 अगस्त 2025 को फाइनल रिपोर्ट देते हुए मामले को झूठा कर दिया था। कोर्ट ने उक्त मामले में दफाओं की गंभीरता को देखते हुए सभी साक्ष्यों का अवलोकन किया। कोर्ट ने पाया कि पीड़िता का बयान प्राथमिकी से बदलता रहा। घटना 15 मार्च 2025 को बताई गई जबकि प्राथमिकी 28 मार्च को दर्ज कराई गई थी। प्राथमिक में देरी पीड़िता द्वारा बयान का बदलना और एफएसएल रिपोर्ट के माध्यम से घटना के समय कपड़ों के बारे में जानकारी मांगी गई तो पीड़िता ने कपड़ों के बारे में बताने एवं आंतरिक चिकित्सा की जांच से इनकार किया। इसके अलावा आरोपित एवं गवाहों के लोकेशन में विरोधाभास मिलना आदि पहलुओं से मामला पूरी तरह मनगढ़ंत पाया गया।
कोर्ट ने पाया की पीड़िता की मां शराब के धंधे में प्राथमिक अभियुक्त थी तथा उसके खिलाफ सिकरौल थाने में मामला भी दर्ज था। जिसमें उसे जेल भेजा गया था। गिरफ्तारी को लेकर पीड़ित पक्ष को यह लगा था कि अभियुक्त ने शराब के बारे में पुलिस को जानकारी दी थी। ऐसे में उसे सबक सिखाने के लिए कानून का गलत उपयोग कर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आपराधिक न्याय को गति देने के लिए एक नाबालिग बच्चों को साधन बनाकर इस तरह से जघन्य एवं झूठे गंभीर आरोप लगाए गए है। ऐसे में पुलिस को यह आदेश दिया जाता है की सूचक एवं पीड़िता की मां के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई करे। कानून के जानकारों का कहना है कि झूठे केस की प्राथमिकी दर्ज करने वालों के खिलाफ कानून में सजा का प्रावधान है। पाॅक्साे अदालत द्वारा पिछले दिनों कई ऐसे झूठे मामलों में सूचक के खिलाफ ही उल्टे कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।





