भगवत स्वरूप में भेद करना ही भगवत अपराध है: राजेन्द्र देवाचार्य जी


न्यूज विजन। बक्सर
पूज्य संत श्री खाकी बाबा सरकार 56वां निर्वाण दिवस पर आयोजित नौ दिवसीय सिय-पिय मिलन महोत्सव से पूरा नया बाजार का पूरा इलाका ही अध्यात्म गांव बन गया है। श्री अग्रमलूक पीठाधीश्वर जगद गुरू श्री राजेंद्र देवाचार्य जी महाराज के मुखारबिंद से हर दिन श्री राम कथा की अमृत वर्षा हो रही है। श्री राम कथा का श्रवण कर लोग धन्य हो जा रहे हैं। कथा के बीच में प्रसंग से संबद्ध संगीतमय भजन सुन झूमने लगते हैं। कथा सध्या साढ़े तीन बजे से हो रही है, लेकिन ढ़ाई बजे से ही श्री सीताराम विवाह आश्रम में सुध-संत और श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो जा रही है।
गुरुवार को जगद गुरू श्री राजेंद्र देवाचार्य जी महाराज ने कहा कि भगवान शिव-पार्वती जी का पवित्र संवाद चल रहा है। इसमें कल भगवान के अवतार पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि जीव के कल्याण में दो चीजें सबसे अधिक बाधक है। पहला भगवत अपराध और दूसरा भागवत अपराध। उन्होंने कहा कि भगवत स्वरूप में भेद करने से भगवत अपराध लगता है। वहीं भागवत स्वरूप में भेद करने से भागवत अपराध लगता है। उन्होंने कहा कि इस अपराध से नाभा जी और प्रिया जी ने बचाया है। इस लिए कभी भी भागवत और भगवत अपराध में भेद मत करो। गोस्वामी तुलसीदास जी मानस के उपासक है, वे अशास्त्रीय बातें नहीं बोल सकते। उन्होंने नारद मोह लीला का वर्णन करते हुए कहा कि देवर्षि नारद जी नारायण के चौबीसवें अवतार हैं। ऐसे में उनमें क्रोध, अहंकार, शोक आ सकता है क्या। नारद जी ने मोह लीला हम लोगों शिक्षा देने के लिए किए हैं। उन्होंने कहा कि धन, यश, प्रतिष्ठा बुरा नहीं है, बुरा है तो इसकी कामना करना।
रासलीला में भक्त नरसी मेहता लीला का किया मंचन:
श्री सीताराम विवाह आश्रम में चल रहे सिय-पिय मिलन महोत्सव में गुरुवार को श्री कैलाश चंद्र शर्मा, वृंदावन के निर्देशन में कलाकारों ने भक्त नरसी मेहता लीला का मंचन किया। इसमें दिखाया गया कि बेटी के बेटी के द्वार नानीबाई के गांव अंजाननगर पहुंचते हैं। बेटी के द्वार नरसी मेहता अपनी गरीबी हालत में पहुंचने पर नानीबाई के ससुराल वाले उनकी आवभगत नहीं कर बेटी के सामने मजाक उड़ाने लगते हैं। वे कहते हैं कि आ गया तुम्हारा बाप खड़ताल बजाते सूरदास संतों के साथ। जबकि नानीबाई अपने पिता को देखकर काफी खुश हो रही थी।
परम भक्त नरसी जी की करुण पुकार सुनकर भगवान कृष्ण अपनी पत्नी रुकमणी के साथ सेठ-सेठानी के रूप में उपहारों से भरी गाड़ियों के साथ नानीबाई के बेटी की शादी में शामिल होने पहुंचते हैं। बांके बिहारी की अद्भुत लीला देखकर नानीबाई के ससुराल वाले अवाक रह गए। तब श्याम सेठ ने पूछने पर बताया की वे नरसी जी के सेवक हैं। नरसी जहां भी जाएंगे मैं भी वहां आऊंगा। यह भक्त और भगवान के मिलन का चरमोत्कर्ष है, जो जहां भगवान भक्त के वश में हो जाते हैं। इस प्रसंग को दौरान भक्तों के आंसू निकल आए।





