विश्व प्रसिद्ध पंचकोशी मेला का दूसरा पड़ाव नदांव पहुंचे श्रद्धालुओं ने किया नारद सरोवर स्नान व नर्वदेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना


न्यूज़ विज़न। बक्सर
विश्व प्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेला का दूसरा दिन श्रद्धा और भक्ति के रंग में सराबोर रहा। सोमवार को श्रद्धालुओं का विशाल काफिला दूसरे पड़ाव नदांव (नारद आश्रम) पहुंचा, जहां नारद सरोवर में आस्था की डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के नर्वदेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना की। परिक्रमा के इस पड़ाव पर श्रद्धालुओं ने खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया और रातभर भजन-कीर्तन में लीन होकर रात्रि विश्राम किया।
दोपहर तक साधु-संतों और श्रद्धालुओं के जत्थों का नदांव पहुंचने का क्रम जारी रहा। परिक्रमा क्षेत्र में चारों ओर “हर-हर महादेव” और “जय श्रीराम” के जयघोष से वातावरण भक्तिमय बना रहा। बक्सर जिला ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस दिव्य यात्रा में शामिल हो रहे हैं, जिससे पंचकोशी परिक्रमा का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है।
भगवान श्रीराम की पावन स्मृतियों से जुड़ा है पंचकोशी परिक्रमा मार्ग
पंचकोशी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष एवं बसांव पीठाधीश्वर अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने बताया कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने महर्षि विश्वामित्र का यज्ञ सफल करने के बाद पांच महान संतों का दर्शन करने का संकल्प लिया था। उसी क्रम में दूसरे दिन भगवान नारद मुनि के आश्रम नदांव पहुंचे थे। उन्होंने नारद सरोवर में स्नान कर नर्वदेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना की और खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया था। आज भी श्रद्धालु उसी परंपरा का पालन करते हुए भगवान शिव की आराधना और प्रसाद ग्रहण करते हैं।

प्रवचन से गूंजा आश्रम परिसर
समिति से जुड़े विद्वान संतों ने प्रवचनों के माध्यम से पंचकोशी परिक्रमा के धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। प्रसिद्ध प्रवचनकार सुदर्शनाचार्य उर्फ भोला बाबा ने कहा कि यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में संयम, त्याग और भक्ति का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि पंचकोशी का कारवां सोमवार की सुबह अहिरौली से रवाना होकर दूसरे पड़ाव नदांव पहुंचा। यहां श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान के बाद भगवान शिव की आराधना की, खिचड़ी का भोग लगाया और भजन-कीर्तन में भाग लिया। नारद सरोवर के पास स्थित देवर्षि नारद द्वारा स्थापित शिवलिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें दोपहर बाद तक लगी रहीं।

भक्ति और अनुशासन का सुंदर संगम
अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज के नेतृत्व में नारद सरोवर की परिक्रमा की गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए शामिल हुए। इस अवसर पर परिक्रमा समिति द्वारा श्रद्धालुओं को खिचड़ी का प्रसाद वितरण किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। पूरे आयोजन में अनुशासन, स्वच्छता और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। समिति की ओर से श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन और सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की गई थी। इस अवसर पर डा. रामनाथ ओझा, वर्षा पांडेय, बसांव मठ के अनेक संत-महात्मा तथा सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे। मंगलमय भजन की गूंज और दीपों की लौ से प्रकाशित नारद आश्रम का दृश्य देर रात तक भक्तिभाव से झूमता रहा।
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