RELIGION

दशहरे पर बक्सर किला मैदान में धूमधाम से हुआ रावण वध, उमड़ा जनसैलाब

रावण एवं मेघनाथ के विशाल पुतलों का दहन, प्रशासन रहा पूरी तरह मुस्तैद

न्यूज़ विज़न।  बक्सर 
विजयदशमी महोत्सव के अठारहवें दिन गुरुवार को ऐतिहासिक किला मैदान में आयोजित रामलीला मंचन ने पूरे शहर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। दोपहर दो बजे से रामलीला का शुभारंभ हुआ, जिसके अंतर्गत देर शाम तक राम और रावण के बीच भीषण युद्ध का मंचन किया गया। इसी क्रम में शाम लगभग पांच बजे रावण वध का दृश्य प्रस्तुत किया गया और 40 फीट ऊंचे रावण तथा मेघनाद के पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश दिया गया।

 

रामलीला समिति के पदाधिकारी हरिशंकर गुप्ता ने बताया कि इस बार 40 फीट ऊंचे दस सिर वाले रावण और मेघनाद का पुतला विशेष रूप से तैयार किया गया था। युद्ध मंचन के बाद जैसे ही भगवान श्रीराम ने अपने बाण से रावण का वध किया, पुतला आतिशबाजी और पटाखों की गूंज के साथ धू-धू कर जल उठा। वहीं, लक्ष्मण जी के द्वारा मेघनाद का वध किए जाने के बाद विशाल पुतले को भी अग्नि के हवाले किया गया।

 

रावण वध कार्यक्रम देखने के लिए किला मैदान में हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन पूरी तरह अलर्ट रहा। जिले के वरीय अधिकारी स्वयं मैदान में मौजूद थे। डीएम डॉ. विद्यानंद सिंह और एसपी शुभम आर्य मैदान के दक्षिणी हिस्से में बने स्टेडियम मंच से लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए थे। वहीं, अनुमंडल पदाधिकारी अविनाश कुमार ने बारिश शुरू होने के बाद माइक से अपील कर समिति और दर्शकों से कार्यक्रम को समय से पहले संपन्न कराने का अनुरोध किया।

बारिश से अफरा-तफरी

कार्यक्रम के दौरान जैसे ही मेघनाद के पुतले को लक्ष्मण जी ने अग्नि दी, अचानक बारिश शुरू हो गई। इससे मैदान में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि प्रशासनिक सतर्कता और पुलिस बल की मौजूदगी ने हालात को बिगड़ने नहीं दिया। सभी गेट तुरंत खोल दिए गए और पुलिस कर्मियों ने भीड़ को सुरक्षित बाहर निकालने में सक्रिय भूमिका निभाई। कार्यक्रम में रामलीला समिति के पदाधिकारियों में बैकुण्ठ नाथ शर्मा, हरिशंकर गुप्ता, सुरेश संगम, कृष्णा वर्मा, उदय सर्राफ, जोखन जी, कमलेश्वर तिवारी, चिरंजी लाल चौधरी, राजकुमार गुप्ता, नारायण राय सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक

रावण वध के साथ ही विजयदशमी महोत्सव का समापन हुआ। पटाखों की गूंज और आग की लपटों के बीच जब रावण का पुतला धराशायी हुआ तो पूरा मैदान जय श्रीराम के नारों से गूंज उठा। बक्सरवासियों ने परंपरागत उत्साह और उल्लास के साथ दशहरे का महापर्व मनाया।

 

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