धम्म विजय महोत्सव के दिन सम्राट अशोक जयंती की मनाई गयी, ऐतिहासिक व्यक्तित्व पर हुआ विमर्श



न्यूज़ विज़न। बक्सर
शहर के जेल पइन रोड स्थित पीपली बुद्ध विहार के समीप विराट नगर में चल रहे धम्म विजय महोत्सव के चौथे दिन चक्रवर्ती सम्राट अशोक की जयंती धूमधाम से मनाई गई। यह कार्यक्रम सम्राट चन्द्रगुप्त क्लब के तत्वावधान में आयोजित हुआ, जिसमें मौर्या समाज एवं प्रजापति समाज के सैकड़ों लोग शामिल होकर ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। कार्यक्रम की अध्यक्षता क्लब के अध्यक्ष ऋतुराज मौर्य ने किया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि उपेंद्र प्रजापति, कुश मौर्य, छठु प्रसाद, विशुनधारी सिंह आदि मौजूद रहे।








कार्यक्रम के दौरान एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसमें उपस्थित भंते बंधुओं को पंचशील के प्रतीक चिह्न पट्टा से सम्मानित किया गया। साथ ही मंच से संबोधित करते हुए वक्ताओं ने सम्राट अशोक की महानता और उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अशोक मौर्य वंश के तीसरे और सबसे प्रसिद्ध सम्राट थे, जिन्होंने 268 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक शासन किया। अपने शासनकाल की शुरुआत में अशोक एक क्रूर और विजेता योद्धा के रूप में कुख्यात रहे। लेकिन कलिंग युद्ध की भीषण त्रासदी देखने के बाद उनके जीवन में गहरा परिवर्तन आया। उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और अपना शेष जीवन शांति, अहिंसा और लोककल्याण के सिद्धांतों को समर्पित कर दिया।




वक्ताओं ने बताया कि सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल में अनेक लोकहितकारी कार्य किए। उन्होंने साम्राज्य में जगह-जगह अस्पताल, धर्मशालाएं, विद्यालय और सड़कों का निर्माण कराया। बौद्ध धर्म को व्यापक बनाने के लिए उन्होंने मिशनरियों को देश और विदेश में भेजा। उनके शासन में धर्म स्तंभ और शिलालेख स्थापित हुए, जिन पर शांति और नैतिक मूल्यों का संदेश अंकित है।
अंत में वक्ताओं ने कहा कि अशोक को उनकी दूरदृष्टि, मानवीय संवेदनाओं और बौद्ध धर्म के प्रसार के कारण इतिहास के महानतम शासकों में गिना जाता है। आज की पीढ़ी के लिए उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है। मौके पर बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, समाजसेवी और स्थानीय नागरिक मौजूद थे। पूरे कार्यक्रम स्थल पर श्रद्धा, उत्साह और ऐतिहासिक गौरव का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम को सफल बनाने में क्लब के उपाध्यक्ष राजू पासवान, कोषाध्यक्ष ज्योति प्रकाश, राज सिंह, राजकुमार सिंह आदि शामिल रहे।

