क्रूर व शक्तिशाली राक्षस जालंधर का वध कर भगवान शिव ने देवताओ को उसके अत्याचार से बचाया
देर रात रामलीला में मंथरा संवाद का हुआ आयोजन, वरदान के रूप में राम का वनवास और भरत के लिए राज्य मांगा


न्यूज़ विज़न। बक्सर
श्री रामलीला समिति के तत्वावधान में नगर के किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर आयोजित 22 दिवसीय विजयादशमी महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत दसवें दिन देर रात्रि मंचित रामलीला के दौरान मंगलवार को “कैकेयी-मंथरा संवाद” प्रसंग का मंचन किया गया जिसमें वृंदावन से पधारे श्री राधा माधव रासलीला एवं रामलीला मंडल के स्वामी श्री सुरेश उपाध्याय “व्यास” जी के सफल निर्देशन में कलाकारों द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए दिखाया गया।
लीला के दौरान दिखाया गया कि अपना मुकुट धारण करते वक्त राजा दशरथ को सिर में सफेद बाल दिखाई दिया। उन्होंने मन में यह विचार किया कि मुझे राज्य करते हुए काफी उम्र हो गया। इसलिए अब श्रीराम को राज्य का भार सौंप कर तपस्या के लिए वनों में जाना चाहिए। इसी बात को वह अपने मंत्रिमंडल में रखते हैं सबकी राय व सहमति के बाद वह राज्याभिषेक की तैयारी की घोषणा करते हैं। यह बात सुनकर अवधपुरी के वासी नगर को सजाने लगते हैं इधर जब श्री राम के राज्याभिषेक की बात मंथरा के कानों में पड़ी तो वह बेचैन हो गई। कुबड़ी मंथरा ने कैकेयी को ये समाचार सुनाया तो कैकेयी आनंदित हो गई, क्योंकि राम उस समय सभी के प्रिय थे। मंथरा ने कैकेयी को राम के विरुद्ध खूब भड़काया, लेकिन कैकेयी मंथरा की बात नहीं मान कर आनंद में डूबी रहीं। तब मंथरा के बहकाने पर कैकेयी को अपने दो वरदान की याद आई। कैकेयी के मन में कपट समा गया. मंथरा के कहने पर वे कोप भवन में जाकर बैठ गईं। राजा दशरथ को अपने दो वरदान की याद दिलाई. राजा दशरथ ने कैकेयी से वह वरदान मांगने के लिए कहा, तब उन्होंने अपने वरदान के रूप में राम का वनवास और भरत के लिए राज्य मांगा। ये सुनकर राजा दशरथ भीतर से टूट सा जाते हैं।
वहीं दिन की कृष्णलीला के दौरान ‘जालंधर वध’ प्रसंग का मंचन किया गया। जिसमें दिखाया कि भगवान शंकर समुद्र से कमंडल में जल लेकर जालंधर को प्रकट करते हैं। जालंधर दानव जाति का एक क्रुर व शक्तिशाली राक्षस होता है। उसकी शादी वृंदा नामक स्त्री से होती है। वह भगवान विष्णु की परम भक्त और पतिव्रता धर्म का पालन करने वाली स्त्री होती है। पति धर्म व्रत के प्रभाव के कारण ही उसके पति जालंधर का कोई अहित नहीं कर सकता था। आगे दिखाया गया कि..एक दिन ऋषि नारद मुनि द्वारा जालंधर को तपस्या करने व भगवान विष्णु सहित शंकर आदि की शक्ति का वरदान मांगने का उपाय बताया गया। इस पर जालंधर भगवान विष्णु की तपस्या कर विष्णु चक्र आदि का वरदान प्राप्त कर लेता है। वरदान मिलने के बाद जालंधर देवताओं को ही ललकारने लगता है। इस दौरान वह इंद्र पर अपनी शक्तियों का प्रयोग करना शुरू देता है। इससे इंद्र जालंधर से अपनी जान बचाकर ऋषि नारद मुनि के पास पहुंचते हैं। नारद मुनि इंद्र देव को भगवान शंकर के पास कैलाश पर्वत पर भेज देते हैं। इसके बाद इंद्रदेव को खोजते हुए जालंधर कैलाश पर्वत पर पहुंचता है। इधर भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप धारण किया और वृंदा के आश्रम पहुंचे। वृंदा अपने पति के लिए अनुष्ठान कर रही थी। पति का रूप देखकर वृंदा ने बिना शंका उनके चरण छुए और उसी क्षण उनकी पतिव्रता शक्ति भंग हो गई। वह समझी कि उसका पति जालंधर युद्ध से सकुशल वापस लौट आए। उधर जालंधर भगवान शंकर से युद्ध करने लगता है। और भगवान शिव जालंधर का वध कर देते हैं। देवताओं को जालंधर के अत्याचार से मुक्त कराते हैं।

जब वृंदा को सच्चाई का आभास हुआ, तो उनका हृदय चूर-चूर हो गया। आंखों में आंसू, अधरों पर कंपन और स्वर में करुण पुकार.. “हे विष्णु! आप तो रक्षक हैं, पालनहार हैं, फिर आपने मेरे विश्वास को क्यों तोड़ा?” दुख और क्रोध से भरी वृंदा ने भगवान को श्राप दे दिया कि आप भी पत्थर बन जाइए। श्राप के प्रभाव से भगवान विष्णु शालिग्राम शिला के रूप में प्रकट हुए। इधर वृंदा ने ध्यानमग्न होकर अपने प्राण त्याग दिए। धरती पर उनका शरीर गिरा और वहां से एक सुगंधित पौधा निकला तुलसी। और आकाशवाणी होती है “वृंदा आज से तुम सदा पूजनीय हो। मेरी पूजा तुम्हारे बिना अधूरी होगी।”
“लीला के दौरान समिति के संयुक्त सचिव हरिशंकर गुप्ता ने बताया कि भगवान श्री राम का वनगमन यात्रा बुधवार को शाम 4.30 बजे रामलीला मैदान से निकलेगा जो किला मैदान से निकलकर नगर भ्रमण करते हुए कमलदह पोखर के समीप पहुंचेगा जहां, केवट संवाद प्रसंग का मंचन किया जाएगा। इसके पश्चात पुन: रामलीला मंच पर बाकी लीलाओं का मंचन होगा।





