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जिले के सरकारी विद्यालयों में एचपीवी टीकाकरण अभियान जारी, अब तक 1837 बच्चियों को मिला सुरक्षा कवच

न्यूज़ विज़न। बक्सर
बक्सर जिला अंतर्गत सभी प्रखंडों के सरकारी विद्यालयों में 9 से 14 वर्ष आयु वर्ग की बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के टीके लगाए जा रहे हैं। यह अभियान स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के अंतर्गत चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य किशोरियों को इस गंभीर बीमारी से बचाना है।

 

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विनोद प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले के सदर प्रखंड में 631, इटाढ़ी 200, ब्रह्मपुर 142, सिमरी 144, नवानगर 137, चौंगाई 121, चौसा 118, चक्की 100, केसठ 86, राजपुर 75 एवं डुमरांव में 47 बच्चियों को  टीकाकरण  किया जा चूका है।  इस तरह अब तक जिले में कुल 1837 बच्चियों को एचपीवी टीका लगाया जा चुका है। यह टीका सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए अत्यंत प्रभावी और पूर्णतः सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि यह टीका दो खुराकों में लगाया जाता है, और इसका कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं पाया गया है। डॉ. सिंह ने बताया कि यह टीकाकरण अभियान स्वास्थ्य कर्मियों एवं विद्यालय प्रशासन के सहयोग से सुचारु रूप से चलाया जा रहा है। बच्चियों के अभिभावकों को भी जागरूक किया जा रहा है कि वे इस अभियान में सहयोग करें और अपनी बेटियों को समय पर टीका दिलवाएं।

 

क्या है एचपीवी टीका?

एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) एक प्रकार का वायरस है जो महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर) का मुख्य कारण होता है। यह टीका शरीर में एंटीबॉडीज बनाकर संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है और किशोरावस्था में इसे लगाने से जीवन भर इस वायरस से सुरक्षा मिलती है।

सरकार की पहल सराहनीय:
बक्सर जिले में एचपीवी टीकाकरण की यह पहल सरकार की ओर से महिलाओं के स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग आने वाले समय में इस अभियान को और अधिक सशक्त करने के लिए स्कूलों, पंचायत प्रतिनिधियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भी मदद ले रहा है। डॉ. सिंह ने अपील की है कि “हर अभिभावक यह सुनिश्चित करें कि उनकी बेटियों को यह टीका लगे, ताकि वे भविष्य में इस घातक बीमारी से बच सकें।” यह अभियान न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति जागरूकता और सशक्तिकरण की दिशा में भी एक सकारात्मक प्रयास है।

 

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