सदर अस्पताल में ओपीडी बहिष्कार, चिकित्सकों ने एफआईआर के विरोध में उठाई आवाज
तीन दिनों तक काला बिल्ला लगाकर करेंगे कार्य




न्यूज़ विज़न। बक्सर
बक्सर के सदर अस्पताल में हाल ही में हुई एक बच्ची की मौत के बाद अस्पताल उपाधीक्षक समेत चार चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों पर एफआईआर दर्ज किए जाने के विरोध में सोमवार को जिले के तमाम सरकारी अस्पतालों में जोरदार विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों ने ओपीडी सेवा का बहिष्कार कर अपनी नाराजगी जाहिर की। हालांकि इस दौरान इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह सुचारु रहीं ताकि किसी भी मरीज को आपात स्थिति में परेशानी न हो।






ओपीडी सेवा का बहिष्कार के दौरान सदर अस्पताल परिसर में एक विरोध सभा का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता उपाधीक्षक डॉ. नमिता सिंह ने की, जबकि संचालन डॉ. संजय कुमार ने किया। सभा में बड़ी संख्या में चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मी शामिल हुए। चिकित्सकों ने स्पष्ट किया कि वे मरीजों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमेशा मानवता के भाव से कार्य करते हैं। उन्होंने हाल ही में वरुणा बिठलपुर की बच्ची की मौत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि इलाज के दौरान हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना को हत्या या लापरवाही करार देना चिकित्सकीय पेशे के साथ अन्याय है। डॉक्टरों ने कहा कि कोरोना महामारी के कठिन समय में जब पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल था, तब भी चिकित्सकों ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा की। ऐसे में उन पर एफआईआर दर्ज करना एक गंभीर षड्यंत्र प्रतीत होता है।


विरोध प्रदर्शन के दौरान चिकित्सकों ने प्रशासन के समक्ष रखीं प्रमुख मांगें जिसमे कार्यस्थल पर चिकित्सकों और कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। एफआईआर को तत्काल निरस्त किया जाये एवं अस्पताल परिसर में हंगामा और अभद्रता करने वालों पर कठोर कानूनी कार्रवाई हो। बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के जिला मंत्री आनंद सिंह ने कहा कि डर और असुरक्षा के माहौल में चिकित्सीय कार्य करना अत्यंत कठिन हो गया है। उन्होंने कहा कि आए दिन मरीज के परिजन छोटी-छोटी बातों पर चिकित्सकों से उलझ जाते हैं, जिससे अस्पताल का माहौल तनावपूर्ण हो जाता है।
आगे की रणनीति : तीन दिन काला बिल्ला, फिर उग्र आंदोलन
बैठक में निर्णय लिया गया कि अगले तीन दिनों तक सभी चिकित्सक और कर्मचारी काले बिल्ले लगाकर विरोध दर्ज कराएंगे। यदि इन तीन दिनों में प्रशासन द्वारा उनकी मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं की गई, तो अगला चरण आंदोलन का होगा, जिसकी रूपरेखा तय की जाएगी। इस आंदोलन को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और भासा (बिहार हेल्थ सर्विस एसोसिएशन) का भी पूर्ण समर्थन प्राप्त है। भासा के सचिव डॉ. संजय कुमार ने कहा कि अगर सरकार और प्रशासन ने चिकित्सकों की सुरक्षा और सम्मान को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई, तो यह आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है।
मौजूद रहे जिले के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मी
विरोध सभा में सिविल सर्जन डॉ. शिव कुमार प्रसाद चक्रवर्ती, सदर अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ, तकनीकी कर्मचारी और अन्य विभागीय अधिकारीगण उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में प्रशासन से अपील की कि चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को भयमुक्त वातावरण दिया जाए ताकि वे निसंकोच सेवा कार्य कर सकें।
यह विरोध प्रदर्शन न केवल एक चिकित्सक समुदाय की पीड़ा की अभिव्यक्ति है, बल्कि एक चेतावनी भी है कि यदि कार्यस्थल पर चिकित्सकों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई, तो इसका प्रभाव स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ेगा। प्रशासन को अब संवेदनशीलता और तत्परता के साथ इस मुद्दे का समाधान करना होगा।

