श्रीमद भागवत की अमर कथा देवताओं को भी दुर्लभ : निर्मल स्वामी
लाल बाबा आश्रम में श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन भगवान शिव व पार्वती की कथा




न्यूज विजन । बक्सर
नगर के सती घाट स्थित लाल बाबा आश्रम में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर चल रहे भागवत कथा के तीसरे दिन प्राकट्य की कथा सुनाते हुए जगतगुरु निर्मल स्वामी जी महाराज ने कहा कि गले में पड़े के कारण अमरकथा को नारद जी के द्वारा जब माता गौरी ने जाना तो शंकर जी को अमर कथा सुनाने के लिए प्रेरित किया। शिव जी के द्वारा कथा सुनाने के क्रम में माता के पुकार में परिवर्तन आया जान भगवान शंकर ने तीसरे नेत्र से देखा माता सो गई थी और कुटिया के बाहर सुक का बच्चा हुंकार भर रहा था। यह देख शिव जी ने क्रोधित हो त्रिशूल से मारने के लिए दौड़े यह देख सुक का बच्चा भागा और व्यास जी की पत्नी जम्हाई ले रही थी उनके मुख में प्रवेश कर गया और 12 वर्ष तक गर्भ में स्थिर हो गया।
वही निर्मल स्वामी ने सुकदेव की जन्म की कथा सुनाते हुए कहां की भगवान की माया हमें न लगे यह वचन पाकर सुकदेव जी गर्व से बाहर निकले और हिमालय की कंधा में तपस्या के लिए चले गए। तब व्यास जी पुत्र के विरह में उनके पीछे-पीछे हाय पुत्र पुत्र करते हुए पुकारे लेकिन सुकदेव जी लौटे नहीं। व्यास जी के द्वारा रचित श्रीमद्भागवत पुराण के 18000 श्लोक के प्रमुख श्लोक जब सुकदेव ने सुना कि परमात्मा श्रीकृष्ण इतने दयालु है पुतना जैसी कंस की भेजी हुई अधर्म नारी जो कृष्ण जन्म के दिन अपने स्तन में छलाछल विष लगाकर दुग्ध पान कराने के लिए आई उस नारी को भी माता का स्थान दिया। इससे बड़ा इस संसार में दयालु कौन हो सकता है सुकदेव जी व्यास जी के शिष्यों के साथ अपने पिताजी के कुटिया में जाकर 18000 लोगों का अध्ययन किया। कथा के दौरान लाल बाबा आश्रम के प्रधान पुजारी पंडित सुरेंद्र जी महाराज, प्रधान जजमान राजेंद्र चौरसिया पत्नी सहित भागवत जी की पूजन किया। कथा को सफल बनाने में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अवधेश पांडे, कन्हैया पाठक, बबलू तिवारी, नीरज सिंह समेत नगर के अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

