सत्य केवल एक नैतिक गुण नहीं, बल्कि धर्म का आधार है : आचार्य रणधीर ओझा
न्यूज़ विज़न। बक्सर
सत्य केवल एक नैतिक गुण नहीं, बल्कि धर्म का आधार है, जिसके बिना समाज का संतुलन असंभव है। उक्त बातें रविवार को राजपुर प्रखंड के बारूपुर पंचायत अंतर्गत भरखरा ग्राम में चल रहे सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन मामाजी के कृपापात्र आचार्य रणधीर ओझा कहा। उन्होंने कथा में ‘सत्य का महत्व और परीक्षित जी का जन्म’ पर प्रवचन किया।
उन्होंने कहा कि परीक्षित जी का जन्म एक महत्वपूर्ण घटना थी, जो सत्य और धर्म की रक्षा के लिए परमात्मा के लीला का एक अंग थी। भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध में पांडवों को विजय का आशीर्वाद देने के बाद परीक्षित जी के रूप में अपने वंश को आगे बढ़ाने का वरदान दिया। यह उनकी कृपा का परिणाम था कि परीक्षित जी जैसे धर्मपरायण और सत्यनिष्ठा शासक ने राज्य का भार संभाला।
परीक्षित जी का जन्म सत्य और धर्म की पुनर्स्थापना का प्रतीक था। आचार्य रणधीर ओझा जी ने बताया कि किस प्रकार परीक्षित जी ने बाल्यकाल से ही सत्य के मार्ग को अपनाया और जीवन भर धर्म का पालन किया। उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षित जी का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चे हृदय से यदि सत्य का पालन किया जाए, तो हर बाधा को पार कर सुख और शांति पाई जा सकती है। रविवार की कथा का समापन सामूहिक भजन और आरती के साथ हुआ। श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से ओतप्रोत होकर भगवान श्रीकृष्ण का संकीर्तन किया। मौके पर राधेश्याम दुबे, कामेश्वर चौबे, मिंटू उपाध्याय आदि लोग उपस्थित रहे।