धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना से इंसान के पापों का नाश होता है : पीताम्बर जी महाराज




न्यूज़ विज़न। बक्सर
सदर प्रखंड अंतर्गत अहिल्या स्थान अहिरौली में चल रहे पांच दिवसीय माता अहिल्या,श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा एवं श्रीराम महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत कथा, श्रीराम कथा में श्रवण करने के लिए अपार भीड़ उमड़ रही है। कथा क्रम में वामन चेतना मंच के सभी सदस्यों का मंच पर आगमन अत्यंत प्रेरणास्पद रहा। श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन सोमवार को भव्य विवाहोत्सव का आयोजन किया गया। यज्ञ में बहुत बड़ी संख्या में पधारे श्रद्धालुओं ने कथा श्रवणोपरांत प्रसाद भी ग्रहण किये।








कथा के दौरान अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक श्री प्रेमाचार्य ‘पीताम्बर जी’ महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा-श्रवण की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए समुपस्थित श्रद्धालुओं को अपने प्रवचनों से निहाल कर दिया। उन्होंने कहा कि जिन-जिन क्षेत्रों में ऐसे कथा यज्ञ होते हैं, उस क्षेत्र के लोग धन्य हो जाते हैं और भगवान की कृपा उन पर सदैव बनी रहती है। स्वामी जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कई मार्मिक प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कथा आयोजक एवं व्यवस्थापक सदस्यों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने श्रद्धालुओं के लिए बेहतर प्रबंध किए हैं। उन्होंने कथा श्रवण की उपादेयता को समझाते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि वे प्रभु भक्ति के मार्ग पर चलें और हमेशा उनके दिखाए मार्ग का पालन करें। ज्ञात हो कि पांच दिन तक चले श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए आसपास के क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते रहे हैं। धर्मानुसार सदाचरण एवं भक्ति के द्वारा मानव जीवन में कुछ भी अप्राप्य नहीं है। इसलिए हमें ऐसे धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। इससे इंसान के पापों का नाश होता है। उन्होंने कहा कि भगवान की कथाओं का पूर्ण लाभ लेने के लिए हमें उन्हें जीवन में उतारना परमावश्यक है। श्रीराम कथा वाचक स्वामी रामेश्वरानंद जी ने कहा श्रीराम कथा हमें मर्यादा में रहना सिखाती है। साथ ही यह मानव का सही मार्गदर्शन भी करती है। जो मनुष्य सच्चे मन से श्रीराम कथा का श्रवण कर लेता है, उसका लोक ही नहीं परलोक भी सुधर जाता है। मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है और बहुत सत्कर्मों के बाद ही मनुष्य का जीवन मिलता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को इसका सदुपयोग करना चाहिए और राम नाम का जप करते हुए अपने लोक व परलोक को सुधारना चाहिए। कलियुग में मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा राम नाम ही है। प्रवचन के दौरान महाराज ने कहा कि हमें अपने दाम्पत्य जीवन में गंभीर होना चाहिए। पति-पत्नी, भाई- बहन, भाई-भाई का प्रेम, पिता-पुत्र, सास-बहु सभी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। रामायण हमें मर्यादा सिखाती है।




श्री प्रेमाचार्य जी ने कहा आज चहुंओर चोरी, भ्रष्टाचार, झूठ एवं घृणा का बोलबाला है। ऐसे में चारों तरफ प्रेम भाईचारा, सौहार्दय और सद्भावना का विकास हो, ऐसे हमारे कृत्य होने चाहिए। आज भी इन्हीं सब गुणों की आवश्यकता है। ये सदाचरण हमारे जीवन में आ जाये, बस प्रभु से यही प्रार्थना है। श्रीहरि को जान लेने और पूर्ण गुरू की कृपा से ही हम जीव अपने अंत: करण में श्री बांकेबिहारी जी का दर्शन कर सकते हैं। इस अवसर पर अहिल्या माता मंदिर के सभी सदस्य एवं कार्यकर्ता गण अनेक सम्माननीय जनों की गरिमामय उपस्थिति, भागीदारी व सहयोग हम सभी भागवतप्रेमियों के लिए स्तुत्य एवं अनुकरणीय है।

