लोक आस्था के महापर्व चैती छठ के तीसरे दिन व्रतियों ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य




न्यूज़ विज़न। बक्सर
जिलेभर में लोक आस्था का महापर्व चैती छठ जगह जगह मनाया गया। रविवार को अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया। शहर के गंगा किनारे रामरेखा घाट, नाथ बाबा घाट, सती घाट पर काफी भीड़ देखा गया। इसके साथ ही ग्रामीण इलाका के नदी घाटों पर छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ पड़ी। वही प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा गंगा में वोट से गश्त लगाया जा रहा था।








छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पण करने के बाद शाम को घर लौट कर अपने आंगन एवं छत पर कोसी भर धन-धान्य की कामना कर अपने पुत्र एवं पति के दीर्घ जीवन के लिए मन्नत मांगी। कोसी भरने के समय महिलाओं ने छठ गीत गाये। वही इस संबंध में लाला बाबा ने बताया कि पारिवारिक सुख-समृद्धि मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए चैती छठ पर्व मनाया जाता है। स्त्री पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं। छठ व्रत के संबंध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। उनमें से एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब श्री कृष्ण द्वारा बताए जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा। तब उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं पांडवों को राजपाट वापस मिला। सोमवार की सुबह उदीयमान भगवान को अर्घ्य देने के साथ लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व का समापन होगा।

