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65 प्रतिशत आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के सवाल पर एनडीए सरकार पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है : अजीत कुशवाहा

मलई बराज को अति शीघ्र पूरा करने के लिए 21 अक्टूबर 2024 को मलई बराज पर होगा किसानों का होगा जुटान

न्यूज़ विज़न। बक्सर
भाकपा-माले द्वारा ‘बदलो बिहार न्याय यात्रा’ के चौथे दिन शनिवार को नावानगर के मड़ियाँ गाँव से आरम्भ हुई। यात्रा पनियारी, सारा, गिरधर बरांव, चनवथ, दसियांव, केसठ होते हुए शाम तक शिवपुर (पश्चिमी टोला) पहुँचेगी। यात्रा में माले के जिला सचिव कॉ० नवीन कुमार, डुमराँव विधायक डॉ० अजीत कुमार सिंह के नेतृत्व में यह यात्रा 21 अक्टूबर को मलई बराज पर पहुंच विशाल जनसभा आयोजित कर अपनी यात्रा समाप्त करेगी।

 

यात्रा के दौरान माले विधायक डॉ० अजीत कुशवाहा ने कहा कि बिहार के ज्वलंत मुद्दों पर हो रही है। बिहार विधान सभा के अंतिम दिन सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के उपरांत दलितों-अतिपिछिड़ों और पिछड़ों के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल किए जाने के सवाल पर बिहार सरकार पूरी तरह बेनकाब हो गई। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार के दोनों इंजन इस मामले में अलग-अलग दिशा में चल रहा है। ये लोग मौखिक तौर पर तो बोल देते हैं लेकिन लिखित तौर पर कुछ नहीं बोलते। इस मसले पर भी भाजपा- जदयू का असली चेहरा खुलकर सामने आ गया है। वंचित समुदाय के आरक्षण पर हो रहे संगठित हमले व उसे कमजोर किए जाने के इस दौर में महागठबंधन की सरकार ने जाति आधारित जनगणना के आधार पर ओबीसी, ईबीसी, दलित और आदिवासियों का आरक्षण बढ़ाकर 65 फीसदी किया था, जो बिल्कुल न्याय संगत था।

भाजपा तो शुरू से ही जाति गणना की विरोधी रही है। बिहार की सत्ता हड़प लेने के बाद वह 65 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करवाने के लिए काफी सक्रिय रही है। जाति गणना के खिलाफ भाजपा के ही लोग न्यायालय में गए थे। 10 प्रतिशत असंवैधानिक सवर्ण आरक्षण को तो हमारी न्याय व्यवस्था ने सही साबित कर दिया लेकिन दलितों- वंचितों के पक्ष में आरक्षण विस्तार को असंवैधानिक बता रही है। आज यह साबित हो गया है कि जब तक भाजपा है, हमारा संविधान, लोकतंत्र और आरक्षण खतरे में है।

यात्रा में भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता व जिला कमिटी के सदस्य जग नारायण शर्मा, कन्हैया पासवान, विरेन्द्र सिंह, संजय शर्मा, हरेन्द्र राम, धर्मेन्द्र सिंह, नारायण दास, रामदेव सिंह, अभय पाण्डेय, धनजी पासवान, महफूज आलम, विनोद रजक, बिरबहादुर पासवान, विसर्जन राम, नीरज कुमार, रवि, सिकंदर चौधरी सहित सैकड़ों नेता कार्यकर्ता शामिल हैं।

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