माता पार्वती एवं भगवान भोलेनाथ अर्धनारीश्वर स्वरूप के माध्यम से दर्शाया है कि जगत में पति एवं पत्नी एक दूसरे के पूरक हैं : पवन नन्दन
पार्वती देवी के तृतीय पुण्यतिथि पर ओम प्रकाश केशरी पवन नन्दन का विशेष आलेख




न्यूज़ विज़न। बक्सर
भगवान भोलेनाथ के अर्धनारीश्वर रुप का तात्पर्य है कि इस भगवान की सृष्टि में प्रत्येक पति-पत्नी हमेशा से एक दूसरे पूरक हैं और रहेंगे। सृष्टि के प्रलय के पश्चात मत्स्य अवतार के माध्यम से एक नौका पर सृष्टि की शुरुआत करने हेतु चौरासी लाख योनियों के जोडे को रखा गया,और तब सृष्टि का पुन: विस्तार हुआ जो आज तक बदस्तूर कायम है। उक्त बातें भोजपुरी दुलार मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं साहित्यकार, डॉ ओमप्रकाश केसरी पवन नन्दन, ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कोरोना काल में अपनी पत्नी के तृतीय पुण्यतिथि पर अपनी भावनाओं को शब्दों के माध्यम से उकेरने का प्रयास किया है। क्योंकि कोरोना काल में अनेक परिवारों ने अपने अनेक परिजनों ने उस भयावह कालखंड के दंश का असर आज तक सह रहे हैं।







पत्नी की महत्ता क्यों है?
हर परिवार में सभी सदस्यों की पारिवारिक चार धर्म है पहला माता की गोद. दूसरा बेटी की मुस्कान, तीसरा बहन की राखी और चौथा पत्नी का संग। पत्नी परिवार की धुरी होती है. बगैर उसके कोई भी धार्मिक कार्य सम्पन्न नहीं हो पाता है। स्वयं भगवान श्री रामचंद्र जी को भी अश्वमेघ यज्ञ में माता सीता की आवश्यकता पड़ी थी। जब भगवान श्रीराम चन्द्र जी अपने अनुज भाई लक्ष्मण के साथ कैकेयी द्वारा महाराज दशरथ जी वरदान मांग कर श्रीराम जी वनवास में चौदह वर्ष के लिए भेज दी तब माता सीता भी अपने पति भगवान श्रीराम जी के साथ वन जाने की बात की, मना करने पर माता सीता के मुंह गोस्वामी तुलसीदास जी मानस में कहलवाये हैं।

“जिय बिनु देह, विरद सम वारी
तैसहि नाथ पुरुष बिन नारी”
नारी की पराकाष्ठा का सबसे बेहतरीन रूप होता है मां का। बावजूद कुछ लोग नारी को धर्म कार्य बाधक मानते है, जो उचित नहीं, अगर नारी अर्थात पत्नी नहीं होती तो पुरुष का अस्मिता एवं अस्तित्व की कल्पना ही नहीं की जा सकती। अगर रत्नावली नहीं होती तो कया तुलसी, तुलसीदास बनते। अगर विद्योत्तमा नहीं तो क्या कली, कालिदास होते। भारती, जीजाबाई, रानी दुर्गावती, झांसी की रानी जैसे अनेक नारियों भारतवर्ष की मर्यादा को कितनी ऊंचाई पर पहुंचाया है किसी से छिपा नहीं है। एक अन्य बात से भी समझ सकते है पति और पत्नी की पूरकता को एक कपल गोष्ठी में एक खेल शुरू हुआ, एक बोर्ड पर पत्नी के परिवार के दोनों कुलों के सदस्यों का नाम लिखा और फिर एक औरत से कहा गया कि आप इन नामों में वैसा नाम मिटाती जाइये जो आप के अनुकूल नहीं है उस औरत सभी नामों को मिटा डाला और एक नाम अपने पति का छोड़ दी। ऐसा क्यों? पूछने पर बताई पत्नी के लिए पति उसका सब कुछ होतें है। पत्नी को हल्के में नहीं लेना चाहिए, आज के माहौल में पत्नी की स्थिति क्या है, यह कहने की नहीं समझने और महसूस करने की बात है और आवश्यकता है। पत्नी के नहीं रहने पर पति का अकेला किस हाल में बीतता है भुक्तभोगी पति बता सकता है।
अपनी पत्नी पार्वती देवी जो हमारे वरदान से कम नहीं थी को उसके तृतीय पुण्यतिथि पर उसको नमन करते हुए, उन तमाम पतियों के पत्नियॉ की आत्मा को नमन करता हूँ जो कोरोना काल में काल कवलित हो गई। अपनी भावनाओं को सभी के साथ इन पंक्तियों के साथ साझा कर रहा हूँ।
कहा गया है बिन घरनी घर भूत का डेरा……

