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संत परंपरा को अपूरणीय क्षति, पूज्य श्री रामचरित दास जी महाराज का साकेत धाम गमन

न्यूज विज़न। बक्सर
शनिवार रात्रि लगभग 10:00 बजे गोस्वामी तुलसीदास जी की जीके परम उपासक परंपरा के द्वादश ग्रंथों के अद्भुत प्रवक्ता, पूज्य बक्सर वाले श्री मामा जी के प्रथम कृपा पात्र शिष्य, परम पूज्य श्री रामचरित दास जी महाराज उर्फ़ महात्मा जी महाराज ने साकेत धाम की ओर प्रस्थान किया। हरे राम–हरे कृष्णा के दिव्य कीर्तन के बीच, भक्ति और वैराग्य से ओतप्रोत वातावरण में संत का धाम गमन हुआ। इस दौरान श्रद्धालुओं की आंखें नम थीं और पूरे क्षेत्र में शोक एवं भक्ति का भाव व्याप्त रहा।

पूज्य श्री महात्मा जी महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन श्रीराम भक्ति, सत्संग, कथा-वाचन और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में समर्पित किया। वे गोस्वामी तुलसीदास जी के ग्रंथों के मर्मज्ञ थे और सरल भाषा में गूढ़ आध्यात्मिक विषयों को जन-जन तक पहुंचाने की अद्भुत क्षमता रखते थे। उनके प्रवचन न केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते थे, बल्कि समाज को नैतिकता, प्रेम और सेवा का संदेश भी प्रदान करते थे।

बताया गया कि पूज्य महात्मा जी महाराज का पार्थिव शरीर श्री हनुमान धाम मंदिर, कमरपुर में पूर्ण हुआ। वहां श्रद्धालुओं एवं शिष्यों द्वारा पूज्य चरणों में भावांजलि अर्पित की गई। संत के दर्शन हेतु बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित होकर उनके श्री चरणों में श्रद्धा-सुमन अर्पित कर रहे हैं।
अंतिम यात्रा का कार्यक्रम रविवार को पूर्वाह्न 11:00 बजे पूज्य श्री महात्मा जी महाराज की अंतिम यात्रा कमरपुर, बलुआ से प्रारंभ होकर नई बाजार होते हुए कॉलेज गेट तक संपन्न होगी। इस अंतिम यात्रा में संत-प्रेमियों, शिष्यों, श्रद्धालुओं एवं आमजन से अधिकाधिक संख्या में शामिल होकर संत दरस-परस का पुण्य लाभ लेने की अपील की गई है।

पूज्य श्री रामचरित दास जी महाराज का जीवन त्याग, तपस्या और भक्ति की जीवंत मिसाल रहा। उनका साकेत धाम गमन संत समाज और क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है, किंतु उनके उपदेश, विचार और भक्ति परंपरा सदैव भक्तों के हृदय में जीवित रहेंगे। पूज्य चरणों में कोटि-कोटि भावांजलि।

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