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पूरे आत्म सम्मान के साथ अपने जीवन को संचालित करने के लिए मानवाधिकार अनिवार्य: रामेश्वर प्रसाद वर्मा

प्रति वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है

न्यूज विजन। बक्सर

पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों-सितम को रोकने और उसके विरूद्ध संघर्ष को नई परवान देने के संदर्भ में हर साल 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्वयुद्ध के जख्मों से लहुलुहान आम जनमानस को राहत देने के लिए संयुक्त राष्ट्र की आम महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को सार्वभौमिक मानवाधिकारों घोषणा को अधिकारिक मान्यता दी। इसी दिन की याद में हर साल 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

 

 

 

उक्त बातें वरीय अधिवक्ता सह साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने कही। उन्होंने बताया कि मानवाधिकार संबंधी इस घोषणा को दुनिया में बोली जाने वाली करीब तीन सौ भाषाओं और बोलियों में अनुवादित किया गया, जो अपने आप में एक रिकार्ड है। मानवाधिकार के अंतर्गत भोजन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, शोषण के विरूद्ध रक्षा का अधिकार, प्रवास का अधिकार, बाल शोषण एवं उत्पीड़न पर रोक, महिला हिंसा, असामनता और धार्मिक हिंसा पर रोक जैसे कई मजबूत कानून बनाए गये हैं। खुद भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14, 15, 16 17, 19, 2021, 23, 24, 39, 43, 45 देश में मानवाधिकारों का सशक्त पैरवी करते नजर आते हैं। इसके अतिरिक्त अपने देश में कायम मानवाधिकार आयोग समेत कई सरकारी और गैर सरकारी आयोग भी कार्यरत है। पूरे आत्म सम्मान के साथ अपने जीवन को संचालित करने तथा अपनी भौतिक व आत्मिक सुरक्षा बरकरार रखने के लिए मानवाधिकार अनिवार्य है।

 

 

 

 

वरीय अधिवक्ता श्री वर्मा ने बताया कि आज दुनिया को ज्यादातर सरकारें इस अधिकार को बरक्कत देने में लगी है। मानवाधिकार के अंतर्गत सोशल जस्टिस जैसी अनेक संस्थाएं काम कर रही हैं। वहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एमेनेस्टी इंटरनेशनल, सीआरवाई, अक्सिफेम ह्यूमन राईट्स, साउथ एशिएन ह्यूमन राईट डॉक्यूमेंटेंशन्स सेंटर, पीयूसीएम जैसे संस्था मुख्य हैं। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियां भी सक्रिय हैं, वो इंसान के दर्द पर अपना लहू बहाकर महसूस करते हैं। वे मानवता की करुण पुकार पर सीधे मुखातिब होते हैं। मानवाधिकार का आशय उन अधिकारों से है जो मानव के जन्म लेने के साथ ही प्राप्त होते हैं। मानवाधिकार का संरक्षण या उल्लंघन किसी भी देश, राष्ट्र अथवा समाज की प्रगति का मापदंड है।

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