श्री कृष्ण ने स्वयं बछड़ों और ग्वालों का रूप धारण कर ब्रह्मा जी के मोह को किए थे भंग: उमेश भाई
हनुमत धाम, कमरपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में व्यास ने गोवर्धन लीला का किया वर्णन


न्यूज विजन। बक्सर
सदर प्रखंड के हनुमत धाम मंदिर परिसर में चल रहे सन्त सदगुरुदेव स्मृति महोत्सव में श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन के क्रम में पूज्य व्यास उमेश भाई ओझा जी ने कथा का रसपान कराते हुए भगवान के नौवें स्कंध तक की लीलाओं का सुंदर वर्णन किया। कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भावविभोर होकर प्रभु की महिमा में लीन दिखे।
व्यास जी ने प्रवचन में कहा कि संसार के छह विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर ही मनुष्य के दुखों का मुख्य कारण हैं। इनसे मुक्ति दिलाने का सामर्थ्य केवल संत और पवित्र ग्रंथों में ही है। उन्होंने भगवान नृसिंह और भक्त प्रह्लाद की कथा के माध्यम से बताया कि प्रभु की भक्ति किस प्रकार क्रोध का शमन कर हृदय में शांति प्रदान करती है। कथा में ब्रह्मा जी द्वारा भगवान की परीक्षा लेने और ग्वाल-बालों व बछड़ों को चुराने का प्रसंग सुनाया गया। व्यास जी ने बताया कि किस तरह भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं उन बछड़ों और ग्वालों का रूप धारण कर ब्रह्मा जी के मोह को भंग किया। अंत में ब्रह्मा जी ने प्रभु की शरण में आकर अपनी भूल स्वीकार की।
कथा के मुख्य आकर्षण में गोवर्धन लीला का सजीव वर्णन किया गया। व्यास जी ने बताया कि मात्र सात वर्ष की आयु में भगवान ने इंद्र के अहंकार को नष्ट करने और ब्रजवासियों की रक्षा के लिए सात दिन और सात रात तक गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाए रखा। इस प्रसंग के माध्यम से भगवान के ऐश्वर्य और उनकी भक्तवत्सलता के साक्षात दर्शन कराए गए। कथा व्यास ने संदेश दिया कि संसार का सुख घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन प्रभु का नाम शाश्वत है। “हमें भगवान का कार्य मानकर संसार के कर्तव्यों का पालन करते हुए सतत प्रभु का स्मरण करना चाहिए, यही भक्ति का मुख्य मार्ग है।





