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श्रीराम की पावन लीला का वर्णन करने का सौभाग्य केवल महर्षि वाल्मीकि जी को ही मिला : पवन नंदन   

 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर

महर्षि वाल्मीकि जयंती भोजपुरी दुलार मंच के बैनर तले राष्ट्रीय अध्यक्ष  साहित्यकार डॉ ओम प्रकाश केसरी पवननन्दन‌, के संयोजन एवं संचालन में शहर के बंगाली टोला पार्वती निवास परिसर में मंच केसंरक्षण डॉ महेन्द्र प्रसाद, श्रीकांत पाठक, ई रामाधार सिंह, गणेश उपाध्याय, राजा रमणपांडे मिठास, शशि भूषण मिश्र, प्रीतम,  महेश प्रसाद, कन्हैया दुबे, सहित अन्य महानुभावों ने दीप प्रज्वलित करके एवं महर्षि वाल्मीकि जी के चित्र पर माल्यार्पण करके किया।

जयंती समारोह की अध्यक्षता वरीय अधिवक्ता  रामेश्वर प्रसाद वर्मा द्वारा किया गया कार्यक्रम में अतिथि के रूप में, धन्नू लाल, शिव बहादुर पांडेय प्रीतिम, रामेश्वर मिश्र विहान, महेश्वर ओझा महेश, लक्ष्मण प्रसाद जायसवाल, कन्हैया पाठक, अतुलमोहन प्रसाद, राजू गुप्ता आदि अन्य लोग उपस्थित रहे। उद्घाटनकरता  सम्बोधन में डा महेन्द्र प्रसाद ने वाल्मीकि जी के रामायण एवं तुलसी दास  के श्रीराम चरित मानस की तुलनात्मक विवेचन करते हुए, बहुत ही सारगर्भित बातों का जिक्र किये।

समारोह के अधयक्ष रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने भी बडे ही शांतचित्त भाव से महर्षि वाल्मीकि जी को नमन करते हुए, भगवान श्री राम के नाम की व्याख्या बड़े ही  नये अंदाज  में किये। वही अन्य उपस्थित  कार्यक्रम के साक्षीस्वरूप उपस्थित महानुभावों ने महर्षि वाल्मीकि जीके  जीवन वृत के  साथ साथ उनके व्यक्तित्व एवं कृतत्व पर विस्तार से चर्चा करके नयी बात़ों को सामने रखे।

संचालन  करते हुए  डॉ पवन ननन्दन ने गोष्ठी में कहा की_प्रत्येक व्यक्ति को भगवान ने  भारत वर्ष की इस पावन धरती किसी न किसी कार्य के लिए भेजें हैं. वाल्मीकि जी के समय में भी अनेक संत, महात्मा साधु,संन्यासी भारत की इस पावन धरती पर थे ,परन्तु  भगवान  श्रीराम की पावन लीला का वर्णन करने का सौभाग्य केवल महर्षि वाल्मीकि जी को ही मिला। महर्षि वाल्मीकि भगवान राम के समय में ही धरती पर अवतरित थे।

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