आस्था का तीन दिवसीय महापर्व छठ पूजा के दूसरे दिन गंगा स्नान कर व्रती महिलाओं ने बनाया खरना का प्रसाद




न्यूज़ विज़न । बक्सर
आस्था का तीन दिवसीय महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। शनिवार को दूसरे दिन खरना है। इसके साथ 19 नवंबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य और उसके अगले दिन यानी 20 नवम्बर को सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन होगा। छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना नाम से जानते हैं। इस दिन व्रती पूरे दिन का उपवास रखती हैं। इसके बाद शाम को गुड़ की खीर का प्रसाद खाकर व्रत खोलती हैं और इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है।











खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद आरम्भ हो गया 36 घंटे का निर्जला व्रत छठ
शनिवार को छठ व्रती गंगा स्नान कर माँ गंगे का पूजन करने के पश्चात् कलसूप रखने के लिए वेदी का पूजन कर घर पहुंच खरना का प्रसाद बनाने में जुट गयी है। आचार्य रणधीर ओझा ने बताया की कार्तिक मास की पंचमी तिथि के दिन व्रती पूरे दिन व्रत रखकर शाम को प्रसाद ग्रहण करती हैं। इस दिन मिटटी से बने चूल्हे में प्रसाद बनाया जाता है। व्रती दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को चावल, गुड़ और गन्ने के रस से रसियाव यानी गुड़ की खीर बनाते हैं और सूर्यदेव को केले के पत्ते या फिर मिट्टी के बर्तन में प्रसाद रखकर अर्पित करते हैं। इसके बाद व्रती खुद ग्रहण करती हैं। इसके बाद घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद दिया जाता है। इसके अलावा प्रसाद में चावल के पिट्ठा और घी लगी रोटी भी दी जाती है। प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे के लिए व्रती निर्जला व्रत रखती हैं।

