29 जुलाई से 03 अगस्त तक सर्वोच्च न्यायालय में विशेष लोक अदालत का होगा आयोजन, जिले से आठ वादो को किया गया है चिन्हित




न्यूज़ विज़न। बक्सर
सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में विशेष लोक अदालत का आयोजन आगामी 29 जुलाई से 03 अगस्त तक किया जाएगा। विशेष लोक अदालत के आयोजन में सर्वोच्च न्यायालय में लंबित सुलह योग्य वादों के निष्पादन हेतु पक्षकारों के बीच आपसी सुलह समझौते के आधार पर निष्पादन हेतु उनके वादों को चिंहित किया गया है। न्यायालय में ऐसे लंबित वादों को सुलह के आधार पर निपटारे हेतु इस विशेष लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है।








इस संबंध में जिला एवं सत्र न्यायाधीश -सह- अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार आनंद नंदन सिंह ने बक्सर न्याय मंडल के सभी न्यायिक पदाधिकारी, न्याय मंडल में कार्यरत कार्यालय, पैनल अधिवक्ता को सर्वोच्च न्यायालय में लंबित जिले के मुकदमों के पक्षकारों को सूचित कर अपने अपने वादों निष्पादन करने हेतु उन्हें प्रेरित करने को कहा है। इस विशेष लोक अदालत से उन्हें होने वाले फायदे के बारे में भी उन्हें बताने को कहा है। साथ ही पक्षकारों के बीच प्री काउंसलिंग कर इसका प्रचार प्रसार आदि करने के लिए कार्यालय में निर्देश दिया है।



इसी परिप्रेक्ष्य में पटना उच्च न्यायालय से सोमवार को एक वर्चुअल मीटिंग की गई। जिसमे माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा जारी बिहार राज्य के सभी जिलों में जारी की गई सूची को बक्सर जिले के चिन्हित पक्षकारों तक नोटिस के माध्यम से उन्हें सूचित करने के लिए निर्देश दिया गया है। इस कार्य हेतु कार्यालय द्वारा पारा विधिक स्वयंसेवकों एवं व्यवहार न्यायालय में कार्यरत प्रोसेस सर्वर के माध्यम से माननीय न्यायालय द्वारा जारी की गई बक्सर जिले के आठ वादों को चिन्हित किया गया है। वाद के सभी पक्षकारों को नोटिस दे दिया गया है। इस विशेष लोक अदालत में बक्सर जिले के सूचीबद्ध वाद के सभी पक्षकारों को अपने-अपने बात को सुलह के आधार पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित इस विशेष लोक अदालत का लाभ लेने हेतु प्रेरित किया गया है। साथ ही उनके द्वारा वाद के निष्पादन में आने वाली सभी कठिनाइयों के समाधान हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर कार्यालय में संपर्क करने को कहा गया है। जिससे कि उनके वाद को सुलह के आधार पर निपटारा हो सके। मौके पर न्यायाधीश ने सूचीबद्ध पक्षकारों से अपील की है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में लंबित अपने-अपने वादों को वह आपसी सुलह के माध्यम से वादों का निष्पादन करवा कर न्यायालय पर बढ़ रहे मुकदमों को कम करने मे अपना सहयोग प्रदान करें।

