राम नाम में है सब कुछ बदल देने का सामर्थ्य: श्री राजेन्द्र देवाचार्य जी
श्री सीताराम विवाह आश्रम में मंगलवार को सिय पिय मिलन महोत्सव का हुआ शुभारंभ


न्यूज विजन। बक्सर
अध्यात्म गांव बना नया बाजार में सिय-पिय मिलन महोत्सव का भव्य आगाज हुआ। मंगलवार को पूज्य संत श्री खाकी बाबा सरकार की पुण्य पर आयोजित 56 वां श्री सीताराम विवाह महोत्सव प्रारंभ हो हुआ। नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में वैदिक मंत्रोचार के साथ व्यास पीठ पूजन के साथ महा महोत्सव का शुभारंभ हुआ। सुबह से देर रात तक लोग भक्ति के सागर में गोता लगाते रहे। अहले सुबह मध्य प्रदेश के श्री हरिनाम संकिर्तन दमोह की संकीर्तन मंडली द्वारा श्री राम चरितमानस का सामूहिक नवाह पारायण श्री हरि नम संकीर्तन अष्टयाम प्रारंभ हुआ। वहीं दिन में रासलीला का आयोजन हुआ और संध्या तीन बजे से श्री राम कथा का आयोजन हुआ।
बसांव पीठाधीश्वर पूज्य श्री अच्युत प्रपन्नाचार्य जी महाराज एवं श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के महंत पूज्य श्री राजाराम शरण जी महाराज के द्वारा वैदिक मंत्रोचार के साथ श्री व्यासपीठ का पूजन कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इससे पूर्व प्रातः काल से ही आश्रम में विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए। व्यासपीठ पूजन कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन डॉ रामनाथ ओझा ने किया।
कथा व्यास श्री अग्रमलूक पीठाधीश्वर जगद गुरू श्री राजेंद्र देवाचार्य जी महाराज, श्री धाम वृंदावन ने श्री राम कथा का श्रवण कराए। पहले दिन उन्होंने गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचितरामचरित मानस के महात्म पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस के बिना किसी की गति नहीं है। उन्होंने इस ग्रंथ में किसी भी संप्रदाय के विचारधारा का उल्लेख नहीं किया। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसी दास ने इस ग्रंथ में अनेक पुराण, वेद, आगम निगम व ग्रंथों के सार-सार समुद्रित किया है। रामचरितमानस में लिखी गई हर बात शास्त्र सम्मत है। उन्होंने कहा कि संतों की वाणी अच्छी और जगत कल्याण की होती है। लेकिन, हर संतों की वाणी सबके गले के नीचे नहीं उतरती है। केवल दिव्य संत गोस्वामी तुलसी दास जी की वाणी ऐसी है, जो हर किसी के गले के नीचे उतरती है। संतों के अनुभूति के आधार पर स्वामी जी ने अपने इस ग्रंथ में तथ्यों को आश्रय दिये हैं। उन्हाेंने कहा कि श्री रामचरितमानस की रचना संवत् 1631 में हुई है। स्वामी जी जन्म से ही राम नाम जपते रहे हैं। उनके रोम-रोम से सीता राम का नाम प्रकट होता है। स्वामी जी ने रामचरितमानस में भगवान के अवतार और चरित्र बात कही है।
रासलीला में श्री कैलाश चंद्र शर्मा, वृंदावन के निर्देशन में श्री कृष्ण जन्म लीला का मंचन किया गया। इसमें दिखाया गया कि कंश ने अपनी बहन देवकी और बासुदेव को कारागार में कैद कर रखा है। क्योंकि, आकाशवाणी से उसे ज्ञात था कि बहन देवकी के कोख से जन्म लेने वाला बालक ही उसके मृत्यु का कारण है। उसने एक-एक कर देवकी के सात पुत्रों का वध कर देता है। जबकि, भाद्रपक्ष कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को राेहिणी नक्षत्र में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से श्री कृष्ण का जन्म होता है। कृष्ण का जन्म होते ही आश्रम





