RELIGION

ईश्वर का अवतार सनातन धर्म की स्थापना एवं मानवता निर्माण में सिद्ध रामबाण है : कृष्णानंद शास्त्री 

सर्वजन कल्याण सेवा समिति सिद्धाश्रम धाम द्वारा आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह नौ दिवसीय श्री राम कथा के चतुर्थ दिवस 

न्यूज़ विज़न।  बक्सर   

“अखिल लोक का एक ही नायक है जिनका नाम है ब्रह्म l यही ब्रह्म जब सृष्टि करने लगता है तो ब्रह्म,पालन करने लगता है तो विष्णु सहlर करने लगता है तो शंकर के नाम से जाना जाता हैl सृष्टि काल में सांसारिक विभिन्न स्थितियों को नियंत्रित संयंत्रित करने के लिए जब धरा पर अवतरित होता है तब हम उस नारायण को अलग-अलग राम, कृष्ण, वामन आदि आदि नाम से जानते हैं l यही अवतार समय-समय पर होता है। उक्त बातें सर्वजन कल्याण सेवा समिति सिद्धाश्रम धाम द्वारा आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ सह नौ दिवसीय श्री राम कथा के चतुर्थ दिन कृष्णानंद शास्त्री उर्फ़ पौराणिक जी ने कहा।

 

उन्होंने कथा के दौरान कहा की ईश्वर अपनी इच्छा अनुसार अवतार लेकर संसार के कल्याणार्थ लीला करता है यही क्रिया समाज को नाम रूप लीला एवं धाम विचार तत्व प्रदान करती हैl यह चार मार्ग हैं, ईश्वर ब्रह्म को प्राप्त करने के साधन भी हैंl इन चारों में से एक का भी सेवन करने पर मानव जीवन प्रताड़ित हो जाता है जो चारों का सेवन करते हैं उनका कहना ही क्या हैl शास्त्रों के अनुसार उसे ब्रह्मांड नायक ब्रह्म के अवतार का कारण जब-जब धर्म की हानि होती है धर्म का उत्थान होता है तब तब वह ब्रह्म विविध रूप धारण करता हैl साधुओं की रक्षा, राक्षसों का विनाश एवं धर्म की स्थापना का कार्य करता है किंतु वह ईश्वर जब नर रूप में अवतरित होता है तो संपूर्ण समाज को शिक्षा भी विशेष रूप से प्रदान करता हैl वह संपूर्ण मानव जाति को मानवता का गुण सीखना है जिसका मध्य होता है आचरणl आचरण द्वारा मानवीय मूल्यों के प्रशिक्षण सुनिश्चित करने हेतु रामावतार प्रमुख हैl ईश्वर को प्राप्त करने के मुख्य दो ही विधाएं हैं प्रथम स्वयं चलकर उसके पास पहुंच जाए यह ज्ञान मार्ग है और दूसरा उस ईश्वर को बुलाकर अपने पास लाया जाए य़ह भक्ति मार्ग हैl अवतार भक्ति मार्ग में संभव हैl भक्त जब संसार में अधर्म को बढ़ते देखकर तथा धर्म की गिलानी देख सुनकर बालकों की तरह रुदन करके आहें भरने लगता है तब अपने प्रिय बालक भक्तों की रक्षा हेतु वह ब्रह्म बैकुंठ से यात्रा करके मृत्यु लोक में उतरता हैl इसी उतरने की क्रिया का नाम है अवतारl अवतार की अवतार अर्थात अवतार लेकर रावण कंस, दुर्योधन आदि चाहे जो भी और धर्म परायण हो सभी का नाशक तथा विभीषण सुग्रीव ग्वाल बाल एवं पांडव आदि धार्मिक लोगों का प्रकाशक होता है l

ब्रह्म, वेद, देव, नर, नारी इत्यादि की रक्षा सनातन धर्म की समस्त संसार में स्थापना तथा विभिन्न विधाओं के द्वारा मानव जीवन जीने की कला उन्नत आश्रम द्वारा मानव आचार व्यवहार द्वारा संबंध निर्वहन तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष पुरुषार्थ चतुष्ट प्राप्त का मार्ग प्रशस्त करके स्वलोक गमन कर जाता हैl समय अनुसार युग युग में ईश्वर का अवतार नहीं हो तो सारी सृष्टि अर्थव्यवस्था असंतुष्ट हो जाएगी, चारों तरफ भोग विलास तथा नाना प्रकार की पशुता एवं दानवता की स्थापना होकर सनातन धर्म रसातल में चला जाएगा चारों तरफ राक्षस राज होकर वातावरण ऐसा होगा जिसकी लाठी उसकी भैंस की स्थिति हो जाएगी अतः ईश्वर का अवतार सनातन धर्म की स्थापना एवं मानवता निर्माण में सिद्ध रामबाण है। भक्तों की करुणा पुकार  से अवतार होता है नारायण का धरा परl अवतार से संसार को नाम,रूप, लीला और धर्म यह चार तत्व मिलते हैंl

 

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